Monday, December 3, 2018

स्वास्थ्य (आहार) से सम्बन्धित कविताएँ

डॉक्टर बन्दर
बन्दरिया जी की शादी में, दूल्हा डॉक्टर बन्दर ।
बर्फी, लड्डू , हलवा, पूड़ी, थाली आयी सज कर । ।
तिनक उठ खड़ा दूल्हा बोला, नहीं खाऊँगा ये सब ।
मुझे चाहिए पौष्टिक भोजन, रोटी, दाल और पालक ।
पत्ते वाली सब्जी हो और लाल चुकन्दर गाजर । ।

इसी प्रकार समभाव की कविता
डॉक्टर दूल्हा
दीदी जी की शादी में, दूल्हा आया डॉक्टर ।
पकवानों से सजे थाल को, लेकर आया नौकर । ।
जीजा बोले तब गुस्से में, लाये हो ये क्यों कर ।
रोटी, सब्जी, दाल, दूध ही भोजन होता रुचिकर । ।

चना–मूँग
चना, मूँग और मोठ भिगोकर, जिसने–जिसने खाया ।
टीका हँस–हँस कर जिसने भी, डॉक्टर से लगवाया । ।
मट्ठा, सब्जी, दालें खाकर, स्वस्थ शरीर बनाया ।
खेलकूद में और पढ़ने में, अव्वल नम्बर पाया । ।

करेला
सुन्दर प्यारा–प्यारा, लगता सबसे न्यारा ।
हरा करेला आया, सबके मन को भाया । ।
सब्जी जिसने खाया, फुड़िया दूर भगाया ।
सुन्दर प्यारा–प्यारा, लगता सबसे न्यारा । ।

पौष्टिक आहार
खाएँ हम सब ऐसे, खिल जाएँ फूल जैसे ।
चने की दाल के साथ, मक्का की रोटी , पालक के शाक के साथ चने की रोटी ।
खाएँ हम सब ऐसे, खिल जाएँ फूल जैसे , हरे पत्ते की सब्जी, रोटी मोटी–मोटी ।
पालक की सब्जी, रोटी छोटी–छोटी , खाएँ हम सब ऐसे, खिल जाएँ फूल जैसे । ।

नीम
चैत की बयार में, कोपल है नीम की ,शुद्ध करे रक्त को, है बहुत कीमती ।
 रोगों को दूर करे, फोड़ों को नष्ट करे , रोज खाओ, न कोई जरूरत हकीम की । ।

तुलसी
नित्य चार पत्ती तुलसी की, जो कोई है खाता ।
सब रोगों को दूर भगाकर, लम्बी सैर लगाता । ।

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