Monday, December 3, 2018

चरित्र निर्माण से सम्बन्धित कविताएँ

बत्ती
हुई रात तब मुन्ना पढ़ते, बत्ती वहीं जलाते हैं ।
पढ़–लिख कर जब सोने जाते, बत्ती बन्द कर जाते हैं । ।

खाना
अपनी माँ जो खाना देती, सबसे अच्छा खाना देती ।
गोलू की पूड़ी मत देखो, पिंकी की चूड़ी मत देखो । ।
अपना घर है छोटा प्यारा, सबसे सुन्दर सबसे न्यारा । ।

फूल
कितने सुन्दर कितने प्यारे, फूल खिले हैं न्यारे–न्यारे ।
नहीं तोड़ कर उन्हें गिराओ, उन जैसे तुम भी मुस्काओ । ।

समयबद्धता
उठो सवेरे शीश नवाओ, दाँत साफ कर रोज नहाओ ।
करो कलेवा, पढ़ने जाओ, विद्यालय से न कतराओ । ।
पढ़ना सीखो, लिखना सीखो, कभी नहीं तुम लड़ना सीखो ।
भेदभाव को दूर भगा कर, मिल जुल कर तुम रहना सीखो ।

No comments:

Post a Comment