Monday, January 28, 2019

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प्राकृतिक जीवनशैली से सम्पूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति पुस्तक का सार–संक्षेप
इस पुस्तक में शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को अक्षुण्ण रखने के लिए जीवनयापन के तरीके की ओर इंगित किया गया है । यदि प्रकृति के नियमों का पालन किया जाए और मन को शान्त रखा जाए तो बीमार पड़ने की सम्भावना भी समाप्त हो सकती है । प्राकृतिक जीवनशैली का अर्थ है कि अपने शरीर को प्रकृति या कुदरत के ऊपर छोड़ दें । इस बात को हम इस प्रकार अधिक अच्छी तरह समझ सकते हैंµनदी के बहते हुए पानी में स्वत: शुद्धीकरण की क्षमता होती है । जो सामान्य गन्दगी आती है, उसे हमें साफ करने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है, नदी स्वत: साफ कर लेती है । नदी का जल तब ही प्रदूषित होता है, जब हम आवश्यकता से अधिक कचरा उसमें डालते रहते हैं । यदि गंगा, यमुना आदि नदियों में या किसी भी नदी में आज की तारीख से भी कचरा डालना बन्द कर दिया जाए तो नदी का पानी कुछ समय में स्वयं को शुद्ध कर लेगा । एक तरफ तो नदी में पिछला कचरा पड़ा है, दूसरी तरफ अब भी कचरा डालते रहते हैं तो यह नदी की स्वत: शुद्धीकरण क्षमता की सीमा से अधिक हो जाता है और नदी का जल प्रदूषित हो जाता है ।
इसी प्रकार शरीर में कोई भी बीमारी होती है तो प्राकृतिक चिकित्सा का सिद्धान्त यह मानता है कि शरीर में कोई विकार है तो प्रकृति उस विकार को निकाल कर शरीर को स्वस्थ कर देगी ।
प्राकृतिक जीवनशैली पर कुछ विभूतियों के विचार दिए गए हैं । यौगिक सूक्ष्म व्यायाम एवं सूर्य नमस्कार तथा हस्तमुद्राओं का भी सचित्र वर्णन है । सरल व सहज प्राणायाम के तरीके और अपक्वाहार क्या, कब, क्यों व कैसे करें वर्णित है ।

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