Saturday, January 5, 2019

सफलता का रहस्य


‘आँटी सोमेश है।’
‘हाँ! लेकिन सो रहा है।’
‘सो रहा है? उसकी तबियत ठीक नहीं है क्या?’
‘तबियत तो ठीक है, लेकिन कल रात में दो बजे तक पढ़ाई की है, इसलिए अभी सो रहा है।’
अहमद चला गया किन्तु सोचने लगा कि सोमेश को कैसे समझाया जाए। उसने निश्चय किया कि जब सोमेश मिलेगा तो उसे समझाएगा।
शाम को सोमेश अहमद के घर आया।
‘अरे सोमेश तू! मैं तुम्हारे घर सुबह नौ बजे गया था, तब तुम सो रहे थे।’
‘हाँ मित्र! कल रात को दो बजे तक पढ़ाई की थी । इसलिए सुबह देर में तो उठना ही था।’
 
‘हाँ आँटी बता रही थीं ।’
‘जब मैं देर से सोता हूँ तो मेज पर पर्ची लिख कर रख देता हूँ कि इतने बजे सोया हूँ, जिससे सुबह माँ देख ले और मुझे न उठाये ।’
‘हाँ यह तो ठीक है किन्तु––––’ इतने में राबर्ट भी आ गया–‘आओ राबर्ट आओ ।’ दोनों बोले ।
‘क्या बातें हो रही हैं?’
‘हम सबके मतलब की बात है, अच्छा ही है कि तुम भी आ गए।’ –अहमद बोला।
‘हाँ तो सोमेश तुम कल रात में दो बजे सोये और सुबह दस बजे उठे । इससे तुम्हारी थकान बढ़ गई और कार्यशक्ति कम हो गई।’अहमद ने समझाते हुए कहा।
‘कैसे?’ कैसे कम हो गई कार्य शक्ति।’
‘रात्रि सोने के लिए होती है और दिन काम करने के लिए। तुम थके होने के बावजूद रात में देर तक जागते रहे, पढ़ते रहे। सुबह ताजी हवा चलती है, सूर्य की रोशनी होती है। उदित होते हुए सूर्य की जीवनदायी किरणों के प्रभाव से तुम वंचित रहे।’
बीच में बात काटते हुए सोमेश बोला–‘सही कहते हो शायद इसीलिए अभी से मेरे चश्मा लग गया।’
‘बिल्कुल ठीक! हाँ! और सुबह देर से उठने से हाजमा भी ठीक नहीं रहता फलस्वरूप स्वास्थ्य खराब हो जाता है।’
‘मेरे भी शरीर में हर समय दर्द बना रहता है। क्या करूँ? इतना पढ़ने के बाद भी अच्छे नम्बर नहीं आ पाते। मैं भी रात के दो–दो बजे तक पढ़ता हूँ।’ –राबर्ट बोला।
‘दोस्तों! तुम लोग गलत तरीके से पढते हो। रात को नौ बजे तक पढ़ो, फिर आराम से सो जाओ। सुबह पाँच बजे तरोताज़ा उठोगे। शरीर और मस्तिष्क दोनों ही कार्य करने में पूरी तरह सक्षम होंगे। स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा और पढ़ाई में भी मन लगेगा। पढ़ाई भी अधिक होगी और नम्बर भी अच्छे आएँगे।’
‘ठीक है पंडित जी! हम आपकी बात मानेंगे।’राबर्ट और सोमेश एक स्वर में बोले।
‘कल्याण हो।’जब आशीर्वाद की मुद्रा में अहमद ने अपना हाथ ऊपर उठाया तो तीनों एक साथ खिलखिला कर हँस पड़े।
रिजल्ट आया– तीनों ही मित्र बहुत अच्छे अंको से पास हो गए थे। सोमेश ने भावुक होते हुए कहा–‘अहमद! तुमने मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी। रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने से मेरे जीवन की दशा और दिशा दोनों ही बदल गयी। अब मेरा स्वास्थ्य भी ठीक रहता है और मन भी प्रसन्न रहता है ।’
इतने में राबर्ट बाहर से चिल्लाता हुआ आया–‘अम्मी! लड्डू खाइए, माँ ने अभी–अभी बनाए हैं।’
अम्मी ने आकर तीनों बच्चों के मुँह में लड्डू डाला और स्वयं भी खाया व आशीर्वाद दिया–‘खुदा करे, तुम लोग खूब पढ़ो-लिखो, अच्छे इन्सान बनो और तुम्हारी दोस्ती सदा कायम रहे।’
प्रकृति के नियमों का पालन करो।
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