एक किसान पीपल के पेड़ के नीचे दोपहर को आराम कर रहा था। तभी उसने एक काला नाग देखा। वह हाथ जोड़ कर बैठ गया और कहा–‘नागदेवता मैं तुम्हें रोज दूध पिलाया करूँगा’ नाग वापस चला गया।
अब किसान नियम से नागदेवता के लिए एक कटोरे में दूध लाकर उनके बिल के सामने रख देता। नाग दूध पीने के बाद उसमें एक सोने की मुहर डाल देता था। इस प्रकार प्रतिदिन एक सोने की मुहर मिलने से किसान की सारी दरिद्रता दूर हो गयी।
एक दिन किसान को कहीं बाहर जाना था। अत: उसने अपने बेटे को नागदेवता को दूध पिलाने का आदेश दिया। दूसरे दिन बेटा दूध लाकर रख गया। जब कटोरा उठाने आया तो उसमें उसने एक सोने की मुहर देखी। इसी प्रकार लगातार दो दिन तक मोहर पाने के बाद उसने सोचा कि लगता है साँप की बाँबी में कोई खजाना है, क्यों न बाँबी खोद कर खजाना निकाल लिया जाय।
लोभवश उसने कुछ विचार न किया और बाँबी खोद डाली। नाग ने बाहर निकल कर उसे डस लिया।
इस प्रकार बहुत लोभ नहीं करना चाहिए।
लोभ से सदा हानि ही होती है।
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