Monday, January 28, 2019

पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी बाल नाटक -पुस्तक मंगाने हेतु संपर्क - मोबाइल.- 9654135918 e-mail : chilbil.shubh@gmail.com

आज तो धरती का अस्तित्व ही खतरे में है। प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय समस्या हमारे सिर पर काल की तरह मंडरा रही हैं। इस समय हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता है- हमारे अपने अस्तित्व की रक्षा।
मानव की ही अनेक क्रियाएँ पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ती हैं। उदाहरण के लिए नदी के जल में अपने को स्वच्छ करने की प्राकृतिक क्षमता होती है। हम इसमें घरेलू और कारखानों से निकलने वाला कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक आदि इतनी ज़्यादा मात्रा में डाल देते हैं कि जल स्वयं को स्वच्छ नहीं कर पाता और हम इस अस्वच्छ जल को प्रदूषित जल का नाम देते हैं। पेयजल का संकट सभी विकसित और विकासशील देशों के बीच चर्चा का मुख्य विषय है।
औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भू प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए गम्भीर रूप से हानिकारक है। ऐसे ही पानी के अत्यधिक दोहन के कारण पृथ्वी का भूजल स्तर नीचे जा रहा है, जो चिन्ता का विषय है। देखें कि कैसे हम छोटे-छोटे उपायों द्वारा समस्याओं को दूर करके धरती को स्वर्ग बना सकते हैं।
बचपन में हम भी तुम्हारी तरह माँ के हाथ की बनी गुझिया, मिठाइयाँ वगैरह खूब खाया करते थे। खूब शरारत करते, खेलते, पढ़ते और मौजमस्ती करते। बड़े लोग जो कहते मान लेते और खुद चिन्तामुक्त रह कर मजे करते रहते। चलो आज अपनी दादी के हाथ की अनोखी मिठाइयों (नाटकों) का आनन्द लो। इन नाटकों की यह भी विशेषता है कि कोई नाटक किसी भी समय व किसी भी अवसर पर खेला जा सकता है। यह नाटक नुक्कड़ नाटक के रूप में भी खेले जा सकते हैं।
दादी 
चिलबिल

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