Saturday, January 5, 2019

समय की गणना


‘एक वर्ष में कितने दिन होते हैं?’
‘तीसौ न पैंसठ दिन।’ सब विद्यार्थी एक साथ बोले।
आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों से जब गणित के नए अध्यापक रमाकान्त सर ने पहले ही दिन यह प्रश्न पूछा तो बच्चों के चेहरे पर मुस्कान उभर आयी कि इतना छोटा सा जवाब तो सभी को मालूम होगा।
लेकिन आगे उन्होंने पूछा–‘यदि प्रतिदिन पन्द्रह मिनट कोई काम किया जाए तो एक वर्ष में कितने घंटे काम होगा?’
अब बच्चे गणना करने लगे–
365 x 15 मिनट = 5475 मिनट
5475 X 60 = 91 घंटे पन्द्रह मिनट
सबसे पहले सुरेश बोला–‘सर इक्यानबे घंटे पन्द्रह मिनट।
‘ठीक है, अन्य बच्चों को भी कर लेने दो ।’
जब सब बच्चे कर चुके तब गुरुजी ने कहा– सोचो! यदि किसी कार्य में प्रतिदिन पन्द्रह मिनट का समय दिया जाए तो एक वर्ष में इक्यानबे घंटे पन्द्रह मिनट काम हो जाएगा ।
स्वाति ने कहा–‘सर! यदि हम रोज पन्द्रह मिनट भी अधिक पढ़ें तो एक वर्ष में इक्यानबे घंटे पन्द्रह मिनट अधिक पढ़ाई हो सकेगी ।
बिल्कुल ठीक कहा स्वाति तुमने! मैं यह नहीं कहता कि तुम लोग दिन भर पढ़ते ही रहो। पढ़ो भी, खेलो भी, पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं में भी भाग लो व समाचार पत्र पढ़ो, किन्तु समय बरबाद मत करो ।’
‘सर! समय को बरबाद करने से तात्पर्य!’ विनीत ने पूछा।
‘जैसे सर्दी के दिनों में नींद खुल जाने पर भी आलस्यवश आधा घंटा बिस्तर पर ही पड़े रहें । ऐसी स्थिति में यदि बिस्तर से उठने का मन नहीं भी है तो बिस्तर पर बैठ कर ही कोई किताब या समाचार पत्र पढ़ सकते हैं । इसी प्रकार पाँच–पाँच, दस–दस मिनट करके बहुत सा समय बचाया जा सकता है ।’
‘सर! समय का बड़ा महत्त्व है।’ –विनीत इतनी गम्भीरता से बोला कि सब हँस पड़े ।
‘अच्छा ! मैं तुम्हें एक नारा देता हूँ– समय बचाओ, सफलता पाओ ।’
सब बच्चे समवेत स्वर में बोले– ‘समय बचाओ, सफलता पाओ ।’
समय की कीमत पहचानो ।
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