अंग्रेजों की आजादी
पात्र परिचय
बच्चे
सुमित
कृष्णा
बसन्ती
सोमेश
सुनीता
सपना
अन्य बहुत से बच्चे
स्त्री पात्र
दादी: सुमित की दादी
माँ: सुमित की माँ
पुरुष पात्र
पक्षीवाला : तोते और
पक्षियों को बेचने वाला आदमी
पापा: सुमित के पापा
अध्यापक : विद्यालय
के सुमित की कक्षा के अध्यापक
दर्शकगण
कई स्त्री, पुरुष व
बच्चे
वेशभूषा
(पात्र अभिनय के अनुकूल
वेशभूषा)
(पर्दा खुलता है)
(प्रथम दृश्य)
(स्टेज पर घर का दृश्य
है । जाडे़ के दिन हैं, कुछ कुर्सियाँ पड़ी हैं । दादी और सुमित बैठे हैं ।)
(नेपथ्य से आवाज आती
है–‘चिड़िया ले लो, तोता ले
लो ।’)
(सुमित दौड़ता हुआ बाहर
जाता है, थोड़ी देर में वह दौड़ता हुआ लौट आता है ।)
सुमित : (हाँफते हुए) दादी! बाहर तोता और चिड़िया बेचने
वाला आया है । चलकर देखिए । अपने घर के लिए भी ले लीजिए ।
दादी : बेटा! किसी भी पक्षी को पिंजरे में बन्द रखना उसके
साथ क्रूरता है । तुम एक काम कर सकते हो । मैं तुम्हें पैसे दूँगी । तुम किसी भी पक्षी
का एक जोड़ा खरीद कर पिंजरे से मुक्त कर दो, उड़ा दो, आजाद कर दो ।
सुमित : आपका मतलब है, हम पक्षी बेचने वाले से एक जोड़ा
पक्षी खरीदें और उसी के सामने उसे पिंजरा खोल कर उड़ा दें ।
दादी : हाँ बेटा!
(दादी और सुमित बाहर
जाते हैं ।)
पट परिवर्तन
(दूसरा दृश्य)
(पक्षीवाला एक बड़ा सा
पिंजरा लिए बैठा है । उसमें बहुत सारे पक्षी हैं । उसके पास कुछ छोटे खाली पिंजरे भी
रखे हैं ।)
सुमित : दादा! एक जोड़ा तोते का मूल्य क्या है ?
पक्षीवाला : एक जोड़ा तोते का मूल्य दो सौ रुपए है । पिंजरे का
पैसा अलग से लगेगा ।
सुमित : हमें पिंजरा नहीं चाहिए ।
पक्षीवाला : पिंजरा है क्या आपके पास तो ले आओ । उसी में तोते
रख देंगे ।
सुमित : नहीं हमें इन्हें पिंजरे में नहीं रखना है । हम
आपसे खरीद कर इन्हें यहीं पर उड़ा देंगे, आजाद कर देंगे ।पक्षीवाला : जैसी तेरी इच्छा बेटे! घरवालों से पूछ लो ।सुमित : (दादी की ओर इशारा करते हुए) यह मेरी दादी हैं
। इन्होंने ही उड़ाने के लिए कहा है ।
दादी : (दादी पक्षी वाले को एक जोड़ा तोते का मूल्य चुकाती
हैं ।) लो भइया! अब एक जोड़ा तोते एक छोटे खाली पिंजरे में रख दो । इन्हें यहीं पर पिंजरा
खोल कर मेरा पोता उड़ा देगा ।
(तोते वाला एक जोड़ा
तोते एक खाली पिंजरे में रख देता है ।)
सुमित :(पिंजरा खोलते हुए) चल मेरे साथी उड़ जा, आजाद हो
जा ।
(आसपास खड़े हुए लोग
भी बहुत खुश हुए । सभी ने तालियाँ बजाईं)
पट–परिवर्तन
(तीसरा दृश्य)
(घर का दृश्य है । दादी
तखत पर लेटी हैं । सुमित और उसके माता–पिता कुर्सियों पर बैठे
हैं । सब बातें कर रहे हैं ।)
सुमित : दादी! कहा जाता है कि 1947 में हम आजाद हुए । भारतीय
तो यहीं रहे, हाँ! अंग्रेज जरूर बाहर चले गए । इसलिए अंग्रेज आजाद हुए । हम भारतीयों
ने उन्हें आजाद कर दिया ।
पापा : क्या बक रहे हो ?
(दादी मुस्करा रही थीं)
सुमित : पापा! आज पक्षी बेचने वाला आया था । पिंजरे में
पक्षी बन्द थे । दादी ने एक जोड़ा तोते का मूल्य पक्षी वाले को देकर एक जोड़ा तोते पिंजरे
से आजाद करवा दिए ।
इसी प्रकार कुछ अंग्रेज
अपना देश छोड़कर भारतरूपी सोने के पिंजरे में कैद हो गए थे । हमने उन्हें 15 अगस्त,
1947 को इस पिंजरे से मुक्त कर दिया ।
माँ : वाह तेरा भी जवाब नहीं । (उठकर सुमित की पीठ थपथपाई)
दादी : (अपनी पीठ थपथपाते हुए) आखिर पोता किसका
है ।
(सब हँसते हैं ।)
पट–परिवर्तन
(चौथा दृश्य)
(पार्क का दृश्य है
। सुमित को चारों तरफ से उसके मित्रगण घेरे हुए हैं । वह हाथ हिला–हिला कर उन्हें अपनी बात समझा रहा है ।)
सुमित : दोस्तों! कुछ अंग्रेज अपना देश छोड़कर भारतरूपी
सोने के पिंजरे में कैद हो गए थे । हमने उन्हें 15 अगस्त, 1947 को इस पिंजरे से मुक्त
कर दिया ।
सब : (सब एक साथ) क्या ?
सुमित : मेरी बात ध्यान से सुनो । अगर कोई जेल में कैद
है, और जब वह जेल से छूटता है तब यही तो कहा जाता है न कि वह जेल से मुक्त हो गया ।
इसी प्रकार हमने अंग्रेजों को मुक्त कर दिया, आजाद कर दिया । वह मुक्त होकर अपने देश
चले गए ।
बसन्ती : सुमित कह तो ठीक रहा है । इसी प्रकार हमने अंग्रेजों
को मुक्त कर दिया, आजाद कर दिया ।
(सुमित ताली बजाता है
। अन्य बच्चे भी तालियाँ बजाते हैं ।)
सुमित : बहुत
बढ़िया बसन्ती! आखिर दोस्त किसकी है । इस बार पन्द्रह अगस्त के दिन हम लोग एक बैनर बनाएँगे और उस पर लिखेंगे,‘अंग्रेज आजाद हुए हैं, हम नहीं । कुछ अंग्रेज अपना देश छोड़कर भारतरूपी सोने
के पिंजरे में कैद हो गए थे । हमने उन्हें 15 अगस्त 1947 को इस पिंजरे की कैद से मुक्त कर दिया । अंग्रेजों के स्वतंत्रता
दिवस पर उन्हें बधाई ।’
सोमेश : बहुत अच्छा! लेकिन इसके लिए हमारे घर वालों की
सहमति भी आवश्यक है ।
सुमित : ठीक है । मेरे दिमाग में एक आइडिया और आ रहा है
। कल हम लोग अपने अध्यापकों से भी बात
करेंगे । अगर विद्यालय
वाले तैयार हो जाते हैं, तब यह कार्यक्रम विद्यालय में भी हो सके तो और भी अच्छा है
।
सुनीता : अगर विद्यालय वाले तैयार हो जाते हैं और विद्यालय
में यह कार्यक्रम होता है, तब घर वाले तो स्वयं ही तैयार हो जाएँगे ।
सुमित : बिल्कुल ठीक कहा तुमने सुनीता! अगर अध्यापक जी
तैयार हो जाते हैं तो हम लोग यह कार्यक्रम विद्यालय में भी करेंगे और विद्यालय से लौटने
पर पार्क में भी ।
पट–परिवर्तन
(पाँचवाँ दृश्य)
(विद्यालय के पार्क
का दृश्य है । खेल का पीरियड है । बहुत सारे लड़के व लड़कियाँ विद्यालय यूनीफार्म में
हैं । अध्यापक जी भी हैं ।)
अध्यापक : बच्चों! आज क्या खेलोगे ?
सुमित: सर! आज हम लोग
आपसे एक अनुमति लेना चाहते हैं ।
अध्यापक : बोलो ।
सुमित : सर! हम लोग इस बार 15 अगस्त के दिन एक कार्यक्रम
करना चाहते हैं– ‘अंग्रेजों की आजादी’ ।
अध्यापक :‘अंग्रेजों की आजादी और वह भी 15 अगस्त के दिन
। 15 अगस्त सन् 1947 को तो हम लोग आजाद हुए थे ।
सुनीता : सर! क्षमा कीजिएगा । जिस प्रकार पिंजरा खोल देने
पर पक्षी आजाद हो जाते हैं, उसी प्रकार हमारे भारतरूपी सोने के पिंजरे से अंग्रेज आजाद
हो कर अपने देश चले गए, भारतीय तो यहीं पर
रहे ।
अध्यापक : (एक मिनट तो चुप रहते हैं फिर हँसते हुए) बात
तो ठीक कहती हो, वास्तव में अंग्रेज ही आजाद हुए हैं ।
सुनीता : सर! हमें 15 अगस्त के दिन अंग्रेजों की आजादी कार्यक्रम
करने की अनुमति मिल जाएगी ?
अध्यापक : मुझे प्राचार्य
जी से अनुमति लेनी होगी ।
सुमित : धन्यवाद सर!
(बच्चे खेलने लगते हैं
।)
पट–परिवर्तन
(छठा दृश्य)
(विद्यालय के पार्क
का दृश्य है । खेल का पीरियड है । सुमित की कक्षा के लड़के व लड़कियाँ विद्यालय यूनीफार्म
में हैं । अध्यापक जी भी हैं ।)
अध्यापक : (प्रसन्न मुद्रा में) प्राचार्य जी की अनुमति
मिल गई है । तुम लोग बैनर बना लो ।
(सब बच्चे तालियाँ बजाते
हैं व उछलते–कूदते हैं ।)
अध्यापक : बच्चों! यह बताओ कि यह कार्यक्रम कैसे करोगे
?
कृष्णा : सर! हम लोग अपना कार्यक्रम बताते हैं । वैसे आप
जैसा कहेंगे वैसा ही करेंगे ।
हम लोग एक बैनर बनाएँगे।
बैनर पर लिखेंगे–
अंग्रेजों के स्वतंत्रता
दिवस पर उन्हें बधाई
कुछ अंग्रेज अपना देश
छोड़कर भारतरूपी सोने के पिंजरे में कैद हो गए थे । हमने उन्हें 15 अगस्त 1947 को इस
पिंजरे की कैद से मुक्त कर दिया ।
अध्यापक : (ताली बजाते हुए) वाह जी वाह! इन चार लाइनों से
पूरा मन्तव्य स्पष्ट हो गया । बैनर के लिए तुम्हें क्या–क्या सामान चाहिए ?
सपना : कुछ नहीं सर! पार्क से हम लोग एक डण्डी ढूँढ़ लेंगे
। तख्ती मेरे पास है । सफेद चार्ट पेपर तो हम लोगों के पास रहता ही है । तख्ती पर सफेद
चार्ट पेपर चिपका कर लिख देंगे ।
अध्यापक : बहुत बढ़िया बात कही सपना ने । इसी प्रकार यदि
मितव्ययता से खर्च करने की आदत डाल ली जाए तो जीवन में कष्ट नहीं होता है ।
यह बैनर ले कर तुम लोग
कहाँ जाओगे ?
सुमित : यह बैनर ले कर हम लोग विद्यालय परिसर में घूमेंगे
। यदि आप लोग अनुमति देंगे तो विद्यालय के आसपास की कालोनी में भी घूमेंगे ।
अध्यापक : प्राचार्य जी ने कालोनी में घूमने की अनुमति दे
दी है । कालोनी में घूमते समय मैं भी तुम लोगों
के साथ रहूँगा । अन्य भी जिस अध्यापक –अध्यापिका की इच्छा होगी, वह भी साथ में चलेंगे ।
सुमित : (लपक कर सर के पैर छूता है ।) सर! आपका किन शब्दों
में धन्यवाद दें ।
अध्यापक : (सुमित को आशीर्वाद देते हुए) तुम लोग स्वस्थ
रहो, सक्रिय रहो । यही सबसे बड़ा धन्यवाद है ।
पट–परिवर्तन
(सातवाँ दृश्य)
(स्टेज पर स्कूल यूनीफार्म
में कुछ बच्चे हैं । कुछ अध्यापक साथ में हैं । एक बच्चे के हाथ में बैनर है ।)
सुमित : (अध्यापक को बैनर दिखाते हुए) देखिए सर! यह बैनर
बनाया है ।
(अध्यापकगण बैनर देखते
हैं ।)
अध्यापक : (बैनर पर लिखे हुए शब्द पढ़ते हैं ।) अंग्रेजों
के स्वतंत्रता दिवस पर उन्हें बधाई । कुछ अंग्रेज अपना देश छोड़कर भारतरूपी सोने के
पिंजरे में कैद हो गए थे । हमने उन्हें 15 अगस्त 1947 को इस पिंजरे की कैद से मुक्त
कर दिया ।
सभी अध्यापक : (तलियाँ बजाते हैं ।)
सभी बच्चे : (तलियाँ बजाते हैं ।)
(सब बच्चे व अध्यापकगण
रैली के रूप में नारे लगाते हुए चलते हैं । सबसे आगे वाले बच्चे के हाथ में बैनर
है ।)
सुमित : कुछ अंग्रेज अपना देश छोड़कर भारतरूपी सोने के पिंजरे
में कैद हो गए थे ।
अन्य बच्चे : हमने उन्हें 15 अगस्त 1947 को इस पिंजरे की कैद
से मुक्त कर दिया ।
सुमित : अंग्रेजों के स्वतंत्रता दिवस पर उन्हें बधाई ।
सभी अध्यापक व सभी बच्चे
: अंग्रेजों के स्वतंत्रता दिवस पर उन्हें बधाई ।
(स्टेज पर कई दर्शक
हैं । वह खूब हँसते हैं और ताली बजाते हैं ।)
एक दर्शक : (आगे बढ़ कर) वाह भाई वाह । मजा आ गया ।
(सभी दर्शकगण जोरदार
तलियाँ बजाते हैं ।)
(पटाक्षेप)
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