Thursday, August 16, 2018

नानी द्वारा माँ का पिटाई-उत्सव


नानी द्वारा माँ का पिटाई-उत्सव
        प्रसन्नता और मुदित दोनों ही बहुत प्रसन्न थे। जैसा उनका नाम था, वैसे ही वह प्रसन्न भी रहते थे। वह लोग माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी सबके दुलारे थे।
   दोनों भाई-बहन शरारती नम्बर एक थे। उनकी शरारतों से एक ओर तो बड़े लोग कुछ परेशान होते थे, दूसरी तरफ उनका मन प्रसन्न भी हो जाता था।
   एक बार प्रसन्नता और मुदित की नानी उनके यहाँ आई हुई थीं। घर के सभी लोग बहुत प्रसन्न थे। बच्चों ने नानी से पूछा- ‘नानी जी! आप तो माँ की भी माँ हैं !’
हाँ बच्चों! मैं तुम्हारी माँ की भी माँ हूँ। नानी गर्व से बोलीं।
प्रसन्नता ने पूछा- ‘तब तो आप माँ को डाँट भी सकती हैं पीट भी सकती हैं।
   जवाब पास में बैठी माँ ने हँसते हुए दिया- ‘हाँ, तो तुम लोगों का माँ की पिटाई करवाने का कार्यक्रम है क्या?’
   मुदित मुँह बनाते हुए बोला- ‘हम लोग तो अपना सामान्य-ज्ञान बढ़ा रहे थे।
   प्रसन्नता ने कहा- ‘माँ! भूख लगी है कुछ खाने को दो न।
माँ हँसते हुए उठीं और बोलीं-‘माँ को दूर भगा रहे हो कि माँ तुम लोगों की बातें सुन ले। घंटे भर पहले ही तो भोजन किया है, अब क्या दूँ खाने के लिए। कहते हुए वह उठकर चली गयीं।
   प्रसन्नता नानी से बोली- ‘नानी! एक दिन हम लोगों के सामने आप माँ को थप्पड़ लगाइए।
   नानी मुस्कराते हुए बोलीं- ‘जब कहो तब थप्पड़ लगाऊँ, अभी पीटूँ।
   मुदित ने कहा- ‘नहीं, नहीं नानी! जरा हम लोगों को योजना बनाने दो। हम लोग शाम तक बताते हैं कि क्या करना है।
   दोनों ने मिलकर योजना बनाई कि एक छोटा सा कार्यक्रम आयोजित किया जाए।नानी द्वारा माँ का पिटाई-उत्सव।
प्रसन्नता ने कहा- ‘हम लोग जैसे विद्यालय के प्रोजेक्ट में कार्ड आदि बनाते हैं, वैसे ही एक निमंत्रण-पत्र बनाएँगे-‘नानी द्वारा माँ का पिटाई उत्सव।
उस निमंत्रण-पत्र में लिखेंगे हमारी माँ का पिटाई उत्सव
दिनांक 15.6.2017 को आदरणीया नानी जी द्वारा होगा।
समय: सायं 7 बजे से 7 बजकर दो मिनट तक
स्थान: हमारा घर
आपके प्रिय
प्रसन्नता और मुदित
कृपया हम लोगों के साथ जलपान का आनन्द लीजिएगा।
   मुदित बोला- ‘आइडिया तो अच्छा है, लेकिन हम कितने निमंत्रण-पत्र बनाएँगे?’
हम लोग तो अपने आस-पास रहने वाले कुछ मित्रों को ही निमंत्रण-पत्रदेंगे। हमारी कालोनी में तो रहते हैं-अंशिका, सरोज, दिनेश विमल। प्रसन्नता ने कहा।
एक बात है, इस कार्यक्रम के बारे में पहले से माँ, पिताजी और नानी सबको बताना तो पड़ेगा ही। यदि उन लोगों की अनुमति मिल जाती है तब पापा से कह देंगे कि वह निमंत्रण-पत्र की छायाप्रतियाँ करवा देंगे। अगर उन लोगों को किसी को बुलाना होगा तो उसे उसे भी बुला लेंगे। -मुदित ने कहा।
ठीक है।
   दोनों बच्चों ने मिलकर निमंत्रण-पत्र बना कर नानी को दिखाया। नानी उसे पढ़ कर खूब हँसी। नानी ने वह निमंत्राण-पत्र माँ और पिताजी को दिखलाया। सब लोग खूब हँसे।
   मुदित ने डरते-डरते पिताजी से कहा- ‘पिता जी! आपकी सहमति है न।
   पिताजी शरारत के स्वर में बोले- ‘मेरी सहमति तो है, अपनी आदरणीया माँ से पूछो।
   बड़ी मासूमियत से बच्चों ने माँ की ओर देखा। माँ ने हँसते हुए उठकर मुदित के कान पकड़ते हुए कहा- ‘हाँ भाई, मेरी भी सहमति है। हाँ यह बताओ, अतिथियों को जलपान में क्या दिया जाएगा? उसकी व्यवस्था भी तो मुझे ही करनी होगी।
   प्रसन्नता ने नाटकीय अंदाज में हाथ जोड़कर सिर झुकाकर कहा- ‘माताश्री! यह आपकी स्वेच्छा पर है। माता-पिताजी आप लोग चाहें तो अपने मित्रों को भी आमंत्रित कर लें।
   मुदित ने बनाया हुआ निमंत्रण-पत्र पिताजी को दिया। उसने कहा- ‘पिताजी! इसकी कुछ छायाप्रतियाँ करवा दीजिए। चार प्रतियाँ तो हमें चाहिए, अपने मित्रों को आमंत्रित करने के
लिए।
   और....निमंत्रण-पत्र सबको बाँटे गए। निर्धारित दिन समय पर बच्चों के मित्रों के अतिरिक्त उनके माता-पिता के मित्रगण भी आए।
   कार्यक्रम निश्चित समय पर प्रारम्भ हुआ। नानी ने माँ के कान खींच कर उन्हें चपत लगाई। तालियाँ पीटी गईं। हँसी-ठहाके जलपान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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