Monday, August 6, 2018

सब रोगों का मूल कारण कब्ज - कारण व निवारण


स्वामी रामतीर्थ ने एक स्थान पर कहा है,‘मेरे अनुभव मेंआया है कि यदि हमारा मेदा (उदर) ठीक निरोगावस्था में हो तो हमें अत्यन्त शान्ति, एकाग्रता, ईश्वर–स्मरण और अन्त:करण की शुद्धि प्राप्त होती है । बुद्धि और स्मरणशक्ति का बल अतितीव्र हो जाता है । प्रथम तो मैं खाता ही बहुत कम हूँ, द्वितीय जो खाता हूँ, पचा लेता हूँ ।’

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रोगों का आदिरोग कब्ज
एक अन्य स्थान पर वह लिखते हैं,‘बराबर चिकना–चुपड़ा, माल–मसालेदार भोजन पेट में ठूँसते रहने से तीक्ष्ण बुद्धि छात्र भी अयोग्य और प्रमादशील हो जाता है । उसके विपरीत हल्के और सुपाच्य भोजन से मस्तिष्क सदैव स्वतन्त्र और खुला रहता है और यही सफल विद्यार्थी जीवन का गुप्त रहस्य है ।’
कब्ज क्या है ? हमारी आँतों से मल का निष्कासन समुचित रूप से व नियमित रूप से न होना ही कब्ज है । नियमितरूप से प्रात: बिस्तर से उठते ही शौच की हाजत होनी चाहिए । मल बँधा हुआ, रंग पीला या भूरा रस्सी की तरह गोल, लम्बा, लचीला, दुर्गन्धरहित हो, एक बार में बिना जोर लगाए, गुदाद्वार को जरा भी गन्दा किए हुए बिना निकल जावे तो समझना चाहिए कि हम कब्ज से पूर्णतया मुक्त हैं ।
यदि नियमित शौच होता है किन्तु मल कड़ा, बदबूदार, रुक–रुक कर या जोर की आवाज के साथ होता है तब भी समझना चाहिए कि पाचन में कहीं–न–कहीं कोई खराबी है ।
स्वस्थ रहने के लिए पहली आवश्यकता है कि हम कब्ज से पूर्णतया मुक्त रहें क्योंकि भोजन से हमारा शरीर बनता है । उसी भोजन से स्वस्थ शरीर का निर्माण होता है जो भोजन भली प्रकार पच जाता है । भोजन ठीक प्रकार से पच गया है, इसका प्रमाण है कि हमारा मल निष्कासन उपरिलिखित विधि से हो । हमारे कब्ज न हो इसके लिए आवश्यक है कि कब्ज होने के कारणों को समझा जावे क्योंकि कब्ज के कारणों को समझे बिना कब्ज को नहीं मिटाया जा सकता है ।
कब्ज के कारण व निवारण
कब्ज होने के बहुत से कारण हो सकते हैं । मुख्य कारण व निवारण निम्नवत् हैं,
* शौचालय की गन्दगी,कुछ लोगों के घरों में शौचालय बहुत गन्दा रहता है । अत: वहाँ जाकर आदमी जल्दी–से–जल्दी भागने की कोशिश करता है । गाँधी जी कहते थे,‘शौचालय इतना साफ होना चाहिए जहाँ पर बैठकर मैं गीता का पाठ भी कर सकूँ ।’
* शौच का वेग रोकना,स्वाभाविक शौच का वेग सदा हल्का ही होता है । अत: शौच की हाजत होते ही तुरन्त जाना चाहिए । कहावत है,
खाई कि न खाई, न खाइबो उचित ।
जाई कि न जाई, जाइबो उचित । ।
अर्थात् जब कम भूख लगी होती है तो मन में संशय होता है कि खावें कि न खावें तब न खाना ही उचित होता है । कड़ी भूख लगने पर ही खाना चाहिए । जब मल या मूत्र का वेग हो और संशय हो कि ‘जाएँ कि न जाएँ’तब तुरन्त जाना चाहिए अर्थात् मल–मूत्र के वेग को रोकना बीमारियों को निमन्त्रण देना है ।
*  शरीर को भोजन पचने का समय न मिलना,शरीर को भोजन पचने के लिए पर्याप्त समय मिलना आवश्यक है । आजकल हम सुबह उठते ही चाय पीते हैं फिर देर रात तक खाते रहते हैं । परिणाम यह होता है कि पाचन की स्वाभाविक गति प्रभावित होती है और पाचन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है ।
* मानसिक चिन्ता,मानसिक चिन्ता हर रोगों का प्रधान कारण है । मन के तनावमुक्त रहने से कब्ज तो होता ही है । अन्य कोई भी रोग हो सकता है ।
* अत्यधिक श्रम,श्रम करना अच्छा है किन्तु शरीर की कार्यक्षमता से अधिक परिश्रम करना उचित नहीं है ।
* बहुत अधिक आराम,जिस प्रकार शरीर की कार्यक्षमता से अधिक परिश्रम करना उचित नहीं है, उसी प्रकार शरीर का कार्यक्षमता से कम कार्य करना भी ठीक नहीं है । दिन भर आराम करना या दिन–भर बैठे–बैठे काम करना ठीक नहीं है । शारीरिक श्रम का कार्य या योगाभ्यास करना या प्रात:भ्रमण आवश्यक है ।
* नींद पूरी न होना,पूरी नींद न लेना कब्ज का एक बहुत बड़ा कारण है ।
* बहुत कम खाना,बहुत कम खाने से भी कब्ज रहने लगता है । अपनी स्वाभाविक भूख के अनुसार पेट–भर भोजन करना चाहिए ।
* बहुत अधिक खाना,अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि जितना ज्यादा खाएँगे उतनी शक्ति मिलेगी । यह सोचना गलत है । शरीर निर्माण उसी भोजन से होता है जो पच जाता है । अत: भूख से अधिक खाने से बदहजमी व कब्ज ही होता है ।
*  दस्तावर दवाओं का प्रयोग,दस्तावर दवाओं के प्रयोग से आँतों की स्वाभाविक शक्ति अवरुद्ध होने लगती है । अप्राकृतिक एवं अतिरिक्त दबाव के कारण पाचन संस्थान कमजोर होने लगता है ।
कुछ लोग नियमित रूप से दस्तावर दवाओं का प्रयोग करते हैं । इससे धीरे–धीरे उनका पाचन संस्थान कमजोर होते–होते उतना कमजोर हो जाता है कि एक समय ऐसा आता है कि दस्तावर दवाएँ भी असर करना बन्द कर देती हैं ।
इस प्रकार दस्तावर दवाओं का प्रयोग करते–करते वे लोग अपने पाचन संस्थान का सत्यानाश कर देते हैं और कब्ज के स्थायी रोगी बन जाते हैं तथा अनेकानेक बीमारियों को निमन्त्रण दे देते हैं ।
*  नशा,कुछ लोग अपनी दु:ख, चिन्ता आदि को भुलाने के लिए मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं या नशा करने लगते हैं । इससे उनकी दु:ख चिन्ता तो कम होती नहीं है वरन्  नशा करने से उनके धन का नाश होता है व मनोबल कम होता है । शरीर के हर अंग में शिथिलता आती है । यकृत पर बुरा प्रभाव पड़ता है, पाचन संस्थान सहित शरीर के हर अंग कमजोर हो जाते हैं, कब्ज रहने लगता है ।
*  नाभि का हट जाना,यदि नाभि अपने स्थान से हट जाती है तो भी कब्ज रहने लगता है ।
*  बिना चबाए खाना,भगवान ने दाँत चबाने के लिए दिए हैं, हम दाँतों का काम आँतों से लें तो यह हमारी भूल ही तो होगी । साधारण–सा नियम है, दाँतों से भोजन के हर कौर को इतना चबाएँ कि पानी बन जाए । इस प्रकार खाया गया भोजन ठीक से पचेगा, आँतों पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा, फलस्वरूप कब्ज का कोई प्रश्न ही नहीं रहेगा ।
* भोजन में फल व सब्जी की कमी,सब्जियाँ क्षार प्रधान होती हैं । हमारे भोजन में अनाज कम तथा फल–सब्जियाँ अधिक मात्रा में होनी चाहिए । सब्जियाँ व फल पाचक, पोषक, निष्कासक होते हैं ।
पाचक: सब्जी–फल शीघ्र पच जाते हैं ।
पोषक: सब्जी–फल अनाज की अपेक्षा अधिक पोषण देते हैं ।
निष्कासक: सब्जी–फल आँतों की अच्छी तरह सफाई करते हैं फलस्वरूप कब्ज नहीं होने पाता है ।

* बिना फुजले वाली खुराक खाना,गेहूँ से चोकर निकालकर खाना, चावल का माड़ निकालना व पॉलिश वाला चावल अर्थात् चावल के ऊपर का लाल कण या पीली पर्त निकाल देना, चने का छिलका उतारकर बेसन बनाना, मैदा आदि का प्रयोग करना कब्ज को दावत देना है । हमारी आँतें सीधी न होकर वर्तुलाकार होती हैं । इनमें से भोजन घूमकर जाता है । अत: फुजले वाली खुराक खाने से भोजन का पाचन अच्छी प्रकार हो जाता है ।
शहरों में जो लोग पैकेट का आटा प्रयोग करते हैं वह यदि एक किलोग्राम आटे में 100 से 200 ग्राम चोकर डालकर खावें व सब्जियों व फलों का भरपूर प्रयोग करें तो कब्ज नहीं रहेगा ।
* बिना कड़ी भूख लगे खाना,कब्ज या शरीर में किसी भी बीमारी का प्रधान कारण है बिना भूख लगे खाना । बिना भूख लगे कुछ भी नहीं खाना चाहिए, न ही सादे पानी के अतिरिक्त कोई पेय पदार्थ लेना चाहिए, न ही फल आदि लेना चाहिए । तात्पर्य यह है कि बिना कड़ी भूख लगे कुछ भी खाद्य–पदार्थ खाना कब्ज को निमन्त्रण देना है ।
कड़ी भूख लगने पर जो कुछ भी खाया जाता है वह पच जाता है । यदि उपरिलिखित बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाए तो कब्ज नहीं होगा, पाचन–क्रिया भलीभाँति चलेगी तो किसी बीमारी का प्रश्न ही नहीं होगा और शरीर स्वस्थ रहेगा । शरीर को भोजन पचाने के लिए समय दें ।
* कब्ज का सबसे बड़ा कारण चाय, कॉफी,चाय, कॉफी भी एक प्रकार का नशा ही है । यदि समय पर चाय न मिले तो बेचैनी होने लगती है । चाय से आँतें कड़ी हो जाती हैं । परिणामस्वरूप कब्ज रहने लगता है ।

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