नानी द्वारा
माँ का पिटाई–उत्सव
पात्र परिचय
बच्चे
आयु 9 से
12 वर्ष के मध्य
मुदित
प्रसन्नता
स्त्री पात्र
माँ– मुदित और प्रसन्नता की माँ आयु लगभग चालीस वर्ष
नानी– मुदित और प्रसन्नता की नानी आयु लगभग पैंसठ वर्ष
पुरुष पात्र
पिताजी– मुदित और प्रसन्नता के पिताजी आयु लगभग चालीस वर्ष
वेशभूषा
पात्र अभिनय
के अनुकूल वेशभूषा
(पर्दा खुलता
है)
(प्रथम दृश्य)
(घर का दृश्य
है । बच्चे, माँ व नानी सब बैठे हैं ।)
प्रसन्नता : (नानी
से) नानी! आप माँ की माँ हैं ।
नानी : (गर्व
से) हाँ बेटी! मैं तुम्हारी माँ की भी माँ हूँ
।
प्रसन्नता : माँ की
भी माँ, तब तो आप बहुत महान हैं ।
नानी : (गर्दन
अकड़ कर) और क्या ।
मुदित : तब तो
आप माँ को डाँट भी सकती हैं ।
नानी : डाँट
क्या पीट भी सकती हूँ ।
माँ : तुम
लोगों का माँ की पिटाई करवाने का कार्यक्रम है क्या ?
मुदित : (मुँह
बनाते हुए) हम लोग तो अपना सामान्य–ज्ञान बढ़ा
रहे थे ।
(माँ हँसने
लगती हैं ।)
मुदित : नानी!
आप थोड़े दिनों के लिए आई हैं । आप हमेशा यहाँ पर क्यों नहीं रहतीं?
माँ :(हँसते
हुए) ताकि रोज माँ की पिटाई करवा सको ।
मुदित :(माँ से
लिपटते हुए) माँ! हम लोग तो बहुत प्यारे बच्चे हैं ।
(माँ मुदित
की पीठ पर प्यार से हाथ फेरती हैं । )
नानी :बेटा!
मैं तुम्हारे मामाजी के पास रहती हूँ । वहाँ पर भी तो बच्चे हैं । अब जब तक कहोगे, यहाँ पर रुकूँगी ।
दोनो बच्चे :(खुशी से) यह तो बहुत अच्छी बात है ।
प्रसन्नता :माँ! भूख
लगी है कुछ खाने को दो न ।
माँ :
(मुस्कराते हुए) माँ को दूर भगा रहे हो कि माँ तुम लोगों की बातें न सुन ले । घंटे भर पहले तो भोजन किया है, अब क्या दूँ खाने के लिए । (कहते हुए वह उठकर चली
गयीं ।)
प्रसन्नता : नानी!
एक दिन हम लोगों के सामने आप माँ को थप्पड़ मारिए ।
नानी : जब कहो
तब थप्पड़ लगाऊँ, अभी पीटूँ ।
मुदित : नहीं,
नहीं नानी! जरा हम लोगों को योजना बनाने दो । हम लोग शाम तक बताते हैं कि क्या करना है ।
नानी : तुम
लोग योजना बनाओ,मैं जरा आराम कर लूँ ।
(नानी तखत
पर लेट जाती हैं । अन्दर से माँ आवाज देती हैं– चलो बच्चों
कुछ खा लो ।)
दोनों :(एक साथ) माँ! अब भूख खतम हो गई
है ।
प्रसन्नता : एक छोटा सा कार्यक्रम आयोजित किया जाए
। हम लोग जैसे विद्यालय के प्रोजेक्ट में
कार्ड आदि बनाते हैं, वैसे ही एक निमंत्रण–पत्र बनाएँगे,
‘नानी द्वारा माँ का पिटाई उत्सव ।
मुदित : वाह
क्या आइडिया है ।
प्रसन्नता : पूरी बात
सुनो, उस निमंत्रण–पत्र में लिखेंगे हमारी माँ का पिटाई
उत्सव दिनांक 15–6–2018 को आदरणीया नानी जी द्वारा होगा ।
समय : सायं
7 बजे से 7 बजकर दो मिनट तक
स्थान : हमारा
घर
आपके प्रिय
प्रसन्नता और मुदित
कृपया हम
लोगों के साथ जलपान का आनन्द
लीजिएगा ।
मुदित : आइडिया
तो अच्छा है, लेकिन हम कितने निमंत्रण–पत्र बनाएँगे?
प्रसन्नता : हम लोग तो अपने आस–पास रहने वाले कुछ मित्रों को ही निमंत्रण–पत्र देंगे । हमारी कालोनी में तो रहते हैं– अंशिका, सरोज, दिनेश
व विमल । हम लोग निमंत्रण–पत्र तो एक ही बनाएँगे । फिर जितने लोगों को देना होगा, उतनी छायाप्रतियाँ करवा लेंगे ।
मुदित : दीदी!
एक बात है, इस कार्यक्रम के बारे में पहले से माँ, पिताजी और नानी सबको बताना
तो पड़ेगा ही । यदि उन लोगों की अनुमति मिल जाती है तब पापा से कह देंगे वह निमंत्रण–पत्र की छायाप्रति करवा देंगे । अगर उन लोगों को किसी को बुलाना होगा तो उसे उसे भी बुला लेंगे ।
प्रसन्नता : मुझे तो
लगता है कि अनुमति शायद ही मिले । हम लोग पहले निमंत्रण–पत्र नानी को दिखाएँगे
। अगर नानी मान गईं तब माँ और पिताजी
तो मान ही जाएँगे ।
(दोनों बच्चों
ने मिलकर निमंत्रण–पत्र बनाया)
नानी : (अंगड़ाई
लेते हुए) जरा झपकी लग गई तो थकान दूर हो गई । बच्चों! पढ़ाई कर रहे
हो?
दोनों बच्चे : हाँ नानी!
(नानी उठ
कर अन्दर जाती हैं व थोड़ी देर में बाहर आती हैं और बैठ जाती हैं ।)
दोनो :
(नानी के पास आकर निमंत्रण–पत्र दिखाते हुए)
नानी! देखिए हमने क्या बनाया है ?
नानी : (निमंत्रण–पत्र हाथ में लेती हैं व पढ़ती
हैं ।) अरे वाह क्या लिखा है ।
(नानी खूब
हँसती हैं ।)
(माँ का प्रवेश)
माँ :
(मुस्कराते हुए) माँजी! आपको इतना खिलखिला कर हँसते हुए बहुत दिन बाद देखा है ।
नानी : (हँसते
हुए वह निमंत्रण–पत्र उन्हें देती
हैं ।) लो पढ़ो!
माँ :
(निमंत्रण–पत्र पढ़ कर ताली बजाती हैं।) अरे
शरारती बच्चों!
(दोनों बच्चे
डरते हुए दूर भागते हैं ।)
मुदित : (दूर
से ही) आप लोगों की सहमति हो तो कार्यक्रम आयोजित किया जाए ।
(पिताजी का
प्रवेश)
पिताजी : कौन सा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है?
(वह बैठ जाते
हैं ।)
माँ :(हँसते
हुए वह निमंत्रण–पत्र उन्हें देती हैं ।) देखिए
।
पिताजी :(निमंत्रण–पत्र पढ़ कर
सीना तानते हुए) अरे वाह, आखिर सन्तान किसकी हैं ।
प्रसन्नता : (पास आकर) पिता जी! आपकी सहमति है न ।
पिताजी : (शरारत के स्वर में) मेरी सहमति तो है, अपनी
आदरणीया माँ से पूछो ।
(बड़ी मासूमियत
से बच्चों ने माँ की ओर देखा ।)
माँ :
(हँसते हुए उठकर मुदित के कान पकड़ते हुए) हाँ भाई, मेरी भी सहमति है। यह बताओ,
अतिथियों को जलपान में क्या दिया जाएगा? उसकी व्यवस्था भी तो मुझे ही करनी होगी ।
प्रसन्नता : (नाटकीय
अंदाज में हाथ जोड़कर सिर झुकाकर) माताश्री! यह आपकी स्वेच्छा पर
है । माता–पिताजी आप लोग चाहें तो अपने मित्रों को भी आमंत्रित कर लें ।
माँ : अवश्य!
हम अपने मित्रों को जरूर
बुलाएँगे
।
मुदित :(निमंत्रण–पत्र देते हुए) पिताजी! इसकी कुछ छायाप्रतियाँ करवा दीजिए
। चार प्रतियाँ तो हमें चाहिए, अपने मित्रों को आमंत्रित करने के लिए । बाकी आप लोगों को जिनको बाँटना हो, उतनी छायाप्रतियाँ करवा
दीजिए ।
(नेपथ्य से
आवाज आती है ।)
(निमंत्रण–पत्र सबको बाँटे गए । निर्धारित दिन व समय पर बच्चों के मित्रों
के अतिरिक्त उनके माता–पिता के मित्रगण भी आए ।
कार्यक्रम
निश्चित समय पर प्रारम्भ हुआ । नानी ने माँ के कान खींच कर उन्हें चपत लगाई । तालियाँ
पीटीं
गर्इं । हँसी–ठहाके व जलपान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ ।)
(पटाक्षेप)
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