Friday, August 17, 2018

पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य एवं बुजुर्गों का योगदान


पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य एवं बुजुर्गों का योगदान
    मानव की ही अनेक क्रियाएँ पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ती हैं और इसको नुकसान पहुँचाती हैं उदाहरण के लिए नदी के जल में अपने को स्वच्छ करने की प्राकृतिक क्षमता होती है हम इसमें घरेलू और कारखानों से निकलने वाला कूड़ाकचरा, प्लास्टिक आदि इतनी ज़्यादा मात्रा में डाल देते हैं कि जल स्वयं को स्वच्छ नहीं कर पाता और हम इस अस्वच्छ जल को प्रदूषित जल का नाम देते हैं पेयजल का संकट सभी विकसित और विकासशील देशों के बीच चर्चा का मुख्य विषय है
पर्यावरण संबंधी समस्याएँ इतनी विकट हो चुकी हैं कि हमारे अस्तित्व
पर ही खतरा मंडरा रहा है ओजोन परत के छेद के बारे में आपमें से
बहुतों को पता होगा] ओजोन परत में छेद हो गया है जो  प्रतिवर्ष बड़ा
होता जा रहा है ओजोन है क्या और हम इसके छेद के बारे में इतना
चिंतित क्यों हैं
ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं (Atom) से ओजोन का एक अणु (Molecule) बनता है यह एक वायुमंडलीय गैसहैऔर पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवच का   काम करती है मान लो कि एक पतला कम्बल पृथ्वी को लपेटे हुए इसकी रक्षा कर रहा है जहाँ सूर्य की अन्य किरणें हमारे जीवन के लिए अनिवार्य हैं, वहीं उसकी पराबैंगनी (Ultraviolet) किरणें हमारे लिए बहुत हानिकारक हैं ओजोन सूर्य की पराबैंगनी किरणों को अवशोषित (Absorb) कर लेती है और
 हम तक नहीं पहुँचने देती
ओजोन को नुकसान पहुँचाने में कई रसायन और मुख्य रूप से क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स ¼CFCs½ उत्तरदायी हैं क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उपयोग फ्रिज, वातानुकूलन अन्य शीतल यंत्रों को ठंडा करने में तथा अग्निशामक यंत्रों में उपयोग होता है ओजोन परत ज्योंज्यों पतली होती जाएगीसूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर और ज़्यादा आएँगी ये किरणें त्वचा की, अनेक बीमारियों जैसे त्वचा कैंसर की संभावना को बढ़ाती हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटाती हैं, जिससे अनेक बीमारियाँ पनपती हैं
    पृथ्वी का औसत तापमान प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है इसे हम ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं ग्लोबल वार्मिंग को इस तरह समझा जा सकता है,अति ठंडे प्रदेशों में वनस्पतियाँ उगाने के लिए ग्रीनहाउसों का उपयोग किया जाता है ये काँच के घर होते हैं जिनमें सूर्य का ताप अंदर तो जाता है पर बाहर नहीं जा पाता इस तरह अंदर की गर्मी धीरेधीरे बढ़ती रहती है और पौधे उगाने के लिए उपयुक्त तापमान मिल जाता है
    कुछ ऐसा ही प्रभाव कार्बनडाईऑक्साइड जैसी गैसों का हमारी पृथ्वी पर होता है वे सूर्य के ताप को पृथ्वी की सतह पर आने तो देती हैं पर इस गर्मी को वायुमंडल के बाहर नहीं निकलने देतीं इन गैसों को ग्रीनहाउस गैसें कहा जाता
 है
    ग्लोबल वार्मिंग के कारण अनेक ग्लेशियर पिघल रहे हैं और ध्रुवीय बर्फ भी पिघल रही है, जिसके कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है यदि ऐसा ही होता रहा तो एक दिन सारी पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी अत्यधिक तापमान बढ़ने के कारण जीवों और वनस्पतियों की अनेक प्रजातियाँ भी लुप्त हो रही हैं बढ़ती हुई जनसंख्या, औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण जलप्रदूषण, वायुप्रदूषण, भूप्रदूषण तथा ध्वनिप्रदूषण बढ़ रहा है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए गम्भीर रूप से हानिकारक है ऐसे ही पानी के अत्यधिक दोहन के कारण पृथ्वी का भूजल स्तर नीचे जा रहा है, जो चिन्ता का विषय है
    पर्यावरणीय समस्याओं को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) विश्व स्वास्थ्य संगठन (w.h.o.) तथा विश्व की सरकारें काफी चिन्तित हैं स्थानीय, प्रादेशिक, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सरकारें, स्वैच्छिक संस्थायें तथा व्यक्तिगत स्तर पर लोग पर्यावरण गुणवत्ता को बनाए रखने की दिशा में अनेक सम्मेलन कर रहे हैं किन्तु विकास भौतिक सुविधाओं को मद्देनजर रखते हुए कोई सार्थक कदम नहीं उठ पा रहे हैं ।
    अभी तक तो हमने समस्याओं का संक्षिप्त विवेचन किया, जिनके कारण हमारे अस्तित्व को, हमारी शाँति, स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न हो गया है अब देखें कि कैसे हम छोटेछोटे उपायों द्वारा समस्याओं को दूर करके धरती को स्वर्ग बना सकते हैं
धरती के अस्तित्व की सुरक्षा तथा स्वस्थ जीवन,कुछ सरल उपाय
    बुजुर्ग लोग अपने समय का सदुपयोग करके जनचेतना फैला सकते हैं लोगों को जागरूक कर सकते हैं
1–     जनसंख्या नियंत्रण जिससे संसाधनों का दोहन कम हो
2–     अधिकाधिक वृक्षारोपण,जिससे प्रदूषण से उत्पन्न खतरों को कम किया जा सके और धरती का बढ़ता तापमान नियंत्रित हो सके
3–     पूर्णसाक्षरता,जिससे लोगों में चेतना सके
4–     पॉलिथिन का पूर्ण बहिष्कार
5–     जल का दोहन आवश्यकतानुसार हो, इसके लिए लोक चेतना
6–     कहीं भी नल खुला देखें तो स्वयं बन्द कर दें तथा अन्य लोगों को भी जल का महत्त्व समझाएँ
7–     पटाखों पर पूरी तरह रोक
8–     व्यक्तिगत वाहन कम से कम हों, सामूहिक वाहनों का प्रयोग हो
9–     क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उपयोग करने वाले उपकरणों का कम से कम उपयोग हो, जिससे ओजोन परत सुरक्षित रह सके
10–   बिजली की अधिकाधिक बचत करें
11–   विभिन्न विधियों द्वारा वर्षा जल संग्रहण अधिक से अधिक किया जाये
दीपावली पर पटाखे जलाने का संकल्प
1–     पटाखा नहीं जलाना है
पर्यावरण बचाना है
2–     बारूद के क्षणिक प्रकाश में छिपा है घना अंधेरा
इसे बनाने के लिए कितनों का उजड़ता है बसेरा
3–     दीप जलाकर खुशियाँ मनाओ
बारूद के ढेर में आत्मा को सुलगाओ
4–     दीपावली मनानी है, ‘पटाखावली भगानी है
अपने बलबूते पर हमको, जनजन में क्राँति लानी है
5–     पटाखे खरीदना बंद करें, बिकने भी बंद हो जाएँगे
उन मासूमों के हाथ, सिकने भी बंद हो जाएँगे
6–     मिठाइयों के रूप में खुशियाँ बाँटो
पटाखों के रूप में भस्म करो


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