तुमने ही तो कहा था,‘ड्राईफ्रूट खाओ’
पात्र परिचय
बच्चे
अनिल
स्त्री पात्र
माँ अनिल की माँ
वेशभूषा
पात्र अभिनय के अनुकूल
वेशभूषा
(पर्दा खुलता है)
(दृश्य)
(स्टेज पर घर का दृश्य
है । माँ अनिल का स्कूल का बस्ता खोल कर देख रही हैं ।)
माँ : (हँसते हुए)
अनिल : (मासूमियत से) माँ! तुमने ही तो कहा था, ड्राईफ्रूट
भी खाया करो ।
माँ : (अनिल के कान खींचते हुए प्यार से) अच्छा शरारती
बच्चे! मैं तेरी हर हरकत जानती हूँ ।
अनिल : (मासूम चेहरा बना कर डरने का नाटक करता हुआ) क्या
हुआ माँ! मैंने क्या गलती की है ?
माँ : मैंने तुझसे कहा था कि ताजे फल सुखा कर खाया करो
?
अनिल : (लाड़ दिखाते हुए) नहीं प्यारी माँ! कहा था ड्राईफ्रूट
भी खाया करो । ड्राईफ्रूट थोड़ी मात्रा में खाना सेहत के लिए अच्छा है ।
माँ : (हँसते हुए) अच्छा शरारती बच्चे! तुम स्कूल फल
खाने के लिए ले गए थे । बस्ते में पड़े–पड़े वह फल सूख गए तो
पकड़े जाने पर कह रहे हो कि मैंने ड्राईफ्रूट खाने के लिए कहा था ।
अनिल : माँ––––’ (प्यारा–सा मुँह बनाते हुए अनिल ने कहाµबोल और माँ से लिपट
गया ।)
(पटाक्षेप)
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