Monday, August 6, 2018

चाय कॉफी और कोको पर महात्मा गाँधी के विचार

Image result for gandhi ‘चाय, कॉफी और कोको इन तीनों में से एक की भी शरीर को आवश्यकता नहीं है । ––––जैसी चाय सामान्यत: पी जाती है, उसका कोई गुण तो जानने में नहीं आया है । मगर उसमें एक भारी दोष होता है अर्थात् उसमें टेनीन होता है । टेनीन ऐसी चीज़ है, जो चमड़े को पकाने के काम में आती है । यही काम टेनीन वाली चाय आमाशय में जा कर करती है । आमाशय के भीतर टेनीन की तह चढ़ने से उसकी पाचन शक्ति कम होती है । इससे अपच होता है । ––––जिन्हें चाय की आदत है, उन्हें समय पर चाय न मिले, तो वे व्याकुल हो जाते हैं । ––––जो चाय के विषय में कहा गया है वह कॉफी में भी थोड़े बहुत प्रमाण में लागू होता है ।’
                                                                                                                           आरोग्य की कुंजी पृष्ठ 18

गाँधी जी ने आगे कहा है,‘जो राय मैंने चाय और कॉफी के बारे में दी है, वही कोको के बारे में भी है । जिसकी पाचन–क्रिया नियमित है, उसे चाय–कॉफी और कोको की मदद की आवश्यकता नहीं रहती । अपने लंबे अनुभव से मैं यह कह सकता हूँ कि तन्दुरुस्त मनुष्य को सामान्य खुराक से पूरा संतोष मिल जाता है । मैंने उपर्युक्त तीनों का खूब सेवन किया है । जब मैं ये चीजें लेता था तब शरीर मेंकुछ न कुछ बिगाड़ रहा ही करता था । इन चीजों़ के त्याग से मैंने कुछ भी खोया नहीं है, उल्टा बहुत पाया है । जो स्वाद मुझे चाय इत्यादि में मिलता था, उससे कहीं अधिक स्वाद अब मैं उबली हुई सामान्य भाजियों के रस में पाता हूँ ।’

                                                                                                                              आरोग्य की कुंजी पृष्ठ 19

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