रमेश, विमल और अतुल का चयन बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित नए खुले हुए प्राथमिक विद्यालय में हुआ। तीनों की आयु लगभग बराबर थी।
घर से बाहर होने के कारण तीनों ने एक कमरा किराए पर ले लिया व एक साथ रहने लगे। साथ ही खाना बनाते, खाते व विद्यालय जाते। रमेश अपना आधा वेतन बैंक में जमा कर देता था, विमल पूरा वेतन खर्च कर देता था व अतुल का अपने वेतन से पूरा नहीं पड़ता था। अत: उसे अपने घर से भी पैसा माँगना पड़ता था।
इस प्रकार धीरे–धीरे तीनों का विवाह हुआ, सन्तानें हुर्इं, पदोन्नति हुई किन्तु उनके धन खर्च करने का तरीका यही रहा। समय बीतता गया। सबके बच्चे बड़े होकर अपने–अपने काम में लग गए। सेवानिवृत्त होने पर तीनों अपने–अपने गाँव चले गए। आदत के अनुसार रमेश ने सेवानिवृत्ति पर मिले पैसे में से कुछ पैसे से गाँव के मकान की मरम्मत करवाई, बाकी पैसा बैंक में जमा कर दिया। उसे विभाग से पेंशन भी मिलती थी।
उधर विमल व अतुल ने अपनी पेंशन का एक बड़ा भाग विभाग को बेच दिया। अत: अपेक्षाकृत उन्हें रमेश से अधिक धन मिला लेकिन पेंशन बहुत थोड़ी मिलती थी। उन्होने उस पैसे से गाँव में खूब अच्छा मकान बनवाया, अपनी सुख–सुविधा के सामान इकट्ठे किए। अतुल ने तो बची हुई खेती बेचकर भी मकान और सामान में लगा दी।
अब रमेश तो आराम से रह रहा था। उसे पैसे की कोई चिन्ता न थी। जब मन होता बच्चों के पास चला जाता, जब मन होता गाँव में रहता व सामाजिक–कार्य करता था व भजन–पूजन करता।
विमल जिसे थोड़ी पेंशन मिलती थी, उसको अपने गुज़ारे के लिए कुछ तो खेती पर निर्भर रहना पड़ता, कुछ ट्यूशन करनी पड़ती। अतुल को भी थोड़ी पेंशन मिलती थी। इसके अतिरिक्त उसके पास न तो पुरखों की खेती थी, न जमा पूँजी, उसे दिनभर ट्यूशन करनी पड़ती थीं।
अब देखें रमेश, विमल और अतुल तीनों ने एक साथ नौकरी शुरू की, समान वेतनमान होते हुए भी सेवानिवृत्त होने पर आज रमेश आर्थिक रूप से काफी समृद्ध है, नियमित पेंशन भी पा रहा है। विमल ने अपने पुरखों की जायदाद खत्म नहीं की है। अत: उसे अपने गुजारे के लिए अपेक्षाकृत कम मेहनत करनी पड़ती है। अतुल जो अपनी व पुरखों दोनों की ही सम्पत्ति खर्च कर चुका थाय उसे गुज़ारे के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी।
इसी प्रकार जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वैसा ही उसका पुण्य संचित होता जाता है। उसी मात्रा में उसकी समृद्धि होती है । ऐसा क्यों होता है कि किसी का जन्म अमीर घर में होता है, किसी का गरीब घर में। जिसने पूर्वजन्म में जैसा कर्म (जमा) किया है, उसे वैसा ही फल (ब्याज) मिलता है।
इस जन्म में भी जो जैसा बैंक बैलेंस (कर्म) करता है, उसे वैसा ही परिणाम मिलता है। यथोचित बैंक बैंलेंस (सेवा) के फलस्वरूप उसका जीवन सुखी व समृद्ध होगा।
सत्कर्म करो