Thursday, November 29, 2018

मानव सम्बन्ध

मानव सम्बन्धों में अटकी,
मैं घूम रही भटकी–भटकी।
आनन्दित मन–अन्तरतम हो,
प्रभु प्रेम लगन ही जीवन हो । ।

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