......डॉ.शोभा अग्रवाल 'चिलबिल' साहित्य
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Thursday, November 29, 2018
मानव सम्बन्ध
मानव सम्बन्धों में अटकी,
मैं घूम रही भटकी–भटकी।
आनन्दित मन–अन्तरतम हो,
प्रभु प्रेम लगन ही जीवन हो । ।
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