पात्र-परिचय
बच्चे
पिंकी: लगभग दस वर्षीया लड़की
राजू : लगभग बारह वर्षीय लड़का
वेद : लगभग दस वर्षीया लड़की, राजू की बहन
स्त्री पात्र
पिंकी की माँ
राजू की माँ
पुरुष पात्र
राजू के पिताजी
वेशभूषा
पात्र-अभिनय के अनुकूल वेशभूषा
(पर्दा खुलता है)
(प्रथम दृश्य)
(घर का दृश्य है। कबाड़ी आया हुआ है। पिंकी हाथ में दूध की कुछ खाली थैलियाँ लिए खड़ी है। पिंकी की माँ रद्दी अखबार व खाली बोतलें लिए हुए कबाड़ी के सामने बैठी हैं । कबाड़ी तराजू में अखबार तौल रहा है।)
(राजू, राजू की बहन वेद तथा उसके माता-पिता का प्रवेश)
राजू : क्या हो रहा है पिंकी?
पिंकी और उसकी माँ: (एक साथ) आइए-आइए, अन्दर बैठिए।
पिंकी : (कबाड़ी को दूध की खाली थैलियाँ पकड़ाती है)
आइए आप लोग अन्दर चलिए।
(पिंकी सबको अन्दर ले जाती है, पानी लाती है, और खुद भी बैठ जाती है। पिंकी की माँ भी कबाड़ी को विदा करके अन्दर आ कर बैठ जाती हैं।)
राजू : दूध की खाली थैलियाँ रोज इकट्ठी करती रहती हो, इसका कितना पैसा कबाड़ी देता है?
पिंकी : (हँसते हुए) हम तो इन दूध की खाली थैलियों अन्य पन्नियों का कबाड़ी से कोई पैसा नहीं लेते हैं।
राजू की माँ : फिर महीने भर सँभाल कर रखने से क्या फायदा?
पिंकी : हमारे घर में बिस्किट की पन्नी या अन्य कोई भी पन्नी निकलती है, उसे सँभाल कर रख लेते हैं, फिर कबाड़ी को दे देते हैं। इससे कई लाभ होते हैं-
* कबाड़ी का भला होता है, उसे कुछ पैसे मिल जाएँगे।
* पुरानी पन्नियों की फैक्ट्री में रिसाइकलिंग होगी, पुनः नई पन्नी बनेंगी, देश के धन की बचत होगी।
* कूड़े में पन्नी डालने से फलों व सब्जियों के छिलकों के साथ जानवर पन्नी भी खा लेते हैं, जिनसे उनमें बीमारी तो होती ही है, मौत भी हो सकती है।
* पन्नियाँ कभी गलती नहीं, इसलिए पन्नी के नाली में फँसने से पानी का बहाव रुकता है, जिससे मच्छर पनपते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
* यदि इन पन्नियों को जलाया जाता है तो इससे वायु प्रदूषित होती है, इनसे हानिकारक गैसें निकलती हैं। इसलिए सबसे बड़ा लाभ है, पर्यावरण अपकर्षण में कमी।
प्लास्टिक वस्तुओं में पेन की खाली रिफिल, दूध की खाली थैली, बिस्किट व अन्य वस्तुओं के खाली रैपर, प्लास्टिक के टूटे डिब्बे व बाल्टी आदि हो सकते हैं।
राजू की माँ : आप लोग यह सब चीजें भी कबाड़ी को देते हैं।
पिंकी की माँ : हाँ! हम लोग यह सब चीजें भी कबाड़ी को देते है व उसका कोई पैसा कबाड़ी से नहीं लेते हैं।
राजू के पिता : सच पिंकी! तुमने हमारी आँखें खोल दीं। अब, हम भी प्लास्टिक व पॉलिथिन कबाड़ी को देंगे। साथ ही अन्य लोगों को भी इससे अवगत करवाएँगे।
(पटाक्षेप)
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