पात्र परिचय
बच्चे
ज्योति
वैभव
शुभी
सुनील
प्रीति
आनन्द
सन्तोष आदि
महिलाएँ
दादी
- वैभव और ज्योति
की दादी
माँ
- वैभव और ज्योति
की माँ
मिसेज सहगल
व मोहल्ले
की अन्य स्त्रियाँ
पुरुष
श्री राकेश
जी तथा मोहल्ले
के अन्य पुरुष
वेशभूषा
पात्र-अभिनय
के अनुकूल वेशभूषा
(पर्दा खुलता है)
(प्रथम दृश्य)
(घर के बरामदे
का दृश्य है।
लगभग पन्द्रह वर्षीय
बालक उकड़ूँ बैठा
अखबार पढ़ रहा है।)
वैभव : (आवाज देता
है) ज्योति
यहाँ आओ।
(अन्दर से ज्योति
आती है।)
ज्योति : क्या हुआ
वैभव?
वैभव : ज्योति देखो! यह लेख पढ़ो, इसमें लिखा है- दीपावली पर पटाखे
जलाने से ध्वनि-प्रदूषण, बारूद
से वायु प्रदूषण
होता है और स्वयं जलने तथा आग
लगने का खतरा रहता है।
ज्योति : बात तो
सही है,
हमें क्या करना
चाहिए? हाँ
एक काम तो
हम कर ही सकते हैं कि
हम इस
वर्ष से पटाखे
न जलाएँ।
वैभव : बहुत अच्छी
बात कही है
ज्योति तुमने! मैं सोच रहा हूँ
कि शाम को
हम लोग पार्क
में खेलने चलेंगे, तब अन्य बच्चों
से भी कहेंगे
कि हम सभी बच्चे इस वर्ष से पटाखे जलाना
बन्द कर दें।
(पट परिवर्तन)
(दूसरा दृश्य)
(पार्क का दृश्य
है ज्योति और
वैभव के अलावा
कई और भी बच्चे हैं।)
वैभव : सभी साथी
मेरे सामने बैठ
जाएँ या खड़े हो जाएँ,बहुत जरूरी बात
कहनी है।
(सब बच्चे बैठ
जाते हैं।)
वैभव : (खड़े होकर) -साथियों! तुम
लोगों को पता ही है कि प्रदूषण की समस्या
बढ़ती ही जा रही है। सभीको
पता है पटाखे
जलाने से भी ध्वनि-प्रदूषण
औरवायु-प्रदूषण
तो होता ही
है, स्वयं
जलने और आग लगने का भी खतरा रहता है।
धन की भी बरबादी होती है।
शुभी : हम लोग यह वादा करें
कि हम लोग दीपावली पर पटाखे
जलाना बन्द कर
दें।
वैभव : बहुत अच्छा, बहुत अच्छा! (कहते हुए ताली बजाता
है।)
(सब बच्चे भी
ताली बजाते हैं, वैभव भी बच्चों
के साथ ही
बैठ जाता है।)
आनन्द : लेकिन पटाखे
छुड़ाने में जो
आनन्द आता है, वह कैसे आएगा?
सुनील : आनन्द जी! आनन्द आने के
लिए मैं एक
आइडिया बताता हूँ।
हम जो पैसा पटाखे में बरबाद
करते हैं,
वह पैसा किसी
गरीब बच्चे की
पढ़ाई में खर्च
करें तो अधिक आनन्द आएगा। असली
दीपावली मन जाएगी।
(सब बच्चे ताली
बजाते हैं।)
प्रीति : मैं एक
आइडिया बताती हूँ, पटाखों के लिए मम्मी-पापा
जो पैसे देते
हैं, उनको
हम लोग इकट्ठा
करके प्रेमा आँटी (घरों में काम
करने वाली बाई) की बेटी पारुल
दीदी की पढ़ाई के लिए दे
देंगे।जैसा कि हम लोगों को पता ही है कि उनकी बेटी पारुल
दीदी का एम. बी. बी. एस. (डॉक्टरी
की पढ़ाई)
में एडमीशन हो
गया है। कल
वह माँ से
कह रही थीं
कि किसी तरह
एडमीशन का पैसा तो दे दिया है, लेकिन
आगे का खर्च भेजना बहुत मुश्किल
होगा।
आनन्द : बहुत ठीक
कह रही हो।
पटाखे छुड़ाने से
अधिक आनन्द पारुल
दीदी की पढ़ाई में पैसे देने
में आएगा।
सन्तोष : हाँ आनन्द
जी! आनन्द
तो आएगा ही।
(सब बच्चे हँसने
लगे।)
वैभव :
आज की सभा यहीं समाप्त होती
है। सब बच्चे
अपने-अपने
घर जा कर इस बात को
अपने माता-पिता से कहेंगे, जिससे आज की योजना कार्यरूप में
परिणित हो सके। चलें कुछ देर
खेल लिया जाए।
(सब बच्चे स्टेज
पर कुछ देर
खेलते हैं,
उसके बाद अन्दर
की ओर जाते हैं।)
(पट परिवर्तन)
(तीसरा दृश्य)
(वैभव का घर है, सुबह
का समय है, नाश्ते की टेबल पर वैभव,
ज्योति, वैभव
के पिता,
माँ व दादी बैठे हैं।)
वैभव : पापा!
कल शाम को
हम सब बच्चों
ने पार्क में
एकमत से निर्णय
लिया है कि हम लोग इस
दीपावली से पटाखे
जलाना बन्द कर
देंगे।
दादी : यह तो बहुत अच्छी बात
है। पटाखे जलाने
से आग लगने का खतरा रहता
है।
माँ : आग लगने के साथ ही
ध्वनि प्रदूषण और
पर्यावरण प्रदूषण भी
बढ़ता है।
ज्योति : दादी!
हम लोगों ने
निर्णय लिया है
कि घर से हम लोगों को
जो पैसा पटाखों
के लिए मिलता
है, वह
प्रेमा आँटी की
बेटी पारुल दीदी
की डॉक्टरी की
पढ़ाई के लिए दे देंगे।
दादी : (उठ कर ज्योति के पास आती हैं और
सिर पर हाथ फेरते हुए भरे
गले से कहती हैं) जुग-जुग जिओ मेरी
बेटी! भगवान
ऐसा ही दया की भावना सदा
तुम लोगों के
हृदय में रखे।
पापा : ठीक है! बहुत अच्छा सोचा
है तुम लोगों
ने, हम
लोग भी पूरा साथ देंगे।
(नेपथ्य से आवाज आती है)
(इसी तरह सब
बच्चों ने अपने-अपने घरों में
बड़े लोगों को
पटाखों के पैसे पारुल की पढ़ाई में खर्च करने
के लिए तैयार
किया।)
(पट परिवर्तन)
(चौथा दृश्य)
(दीपावली का दिन है। मोहल्ले के
सभी परिवार पार्क
में इकट्ठा हैं
व चादरें
बिछा कर बैठे हैं। चारों तरफ
दीए, मोमबत्तियाँ
आदि जल रहे हैं। बीच में
खाद्य-वस्तुएँ
रखी हैं।)
मिसेज सहगल : (खड़े
होकर व हाथ जोड़ कर)
सभी को दीपावली
की शुभकामनाएँ। आपको
पता ही है कि बच्चों ने
इस वर्ष से
दीपावली में पटाखे
न जलाने
का निर्णय लिया
है। पटाखों से
बचे हुए पैसे
किसी जरूरतमंद के
लिए उपयोग करने
का हम लोगों
से निवेदन किया
है।हम लोग बच्चों
के इस निर्णय
का तहेदिल से
स्वागत करते हैं।
इस वर्ष प्रेमा
की लड़की पारुल
की डॉक्टरी की
पढ़ाई के लिए पैसा
देने के लिए बच्चों ने सोचा है। आप सब लोग सहमत हैं?
सभी लोग
:
(एक साथ)
हम सब सहमत हैं।
(बच्चे ताली बजाते
हैं।)
श्री राकेश जी: चलिए मिठाई खाई
जाए।
(सब लोग अपने
घरों से लाए हुए पकवानों को
खोलते हैं व
बड़े व बच्चे
सब खाने लगते
हैं।)
(नेपथ्य से आवाज आती है)
आशा है
सभी दर्शक भी
अपनी दीपावली इसी
तरह मनाएँगे।
(पटाक्षेप)
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