पात्र परिचय
बच्चे
अन्तरिक्ष- आयु बारह वर्ष
रिया-
अन्तरिक्ष की बहन, आयु ग्यारह वर्ष
अन्तरिक्ष और
रिया के पड़ोस के बच्चे
आयु लगभग 10 वर्ष से
14 वर्ष के मध्य
शशिकान्त
नीरज
अविरल
चिंटू
सुरेखा
प्रवीण
गीता
नेहा
विवेक
अनुष्का
अनिल
प्रिया
काजल
सौरभ
अवन्तिका
अनुप्रिया
स्त्री पात्र
दादी-अन्तरिक्ष और रिया की दादी माँ
आयु लगभग साठ
वर्ष
कनिका जी-अन्तरिक्ष और रिया की माँ आयु
लगभग चालीस वर्ष
पुरुष पात्र
स्वर्णिम जी-अन्तरिक्ष और रिया के पिता आयु
लगभग चालीस वर्ष
वेशभूषा
पात्र-अभिनय
के अनुकूल वेशभूषा
(पर्दा खुलता है)
(दृश्य)
(स्टेज पर घर का दृश्य है।
दरी पर दादी बैठी हैं। उनके
आसपास बहुत सारे
बच्चे बैठे हैं।)
दादी :
बच्चों! आज
तुम्हें बाँधों के
बारे में बताते
हैं। तुम लोग
जानते हो कि बाँध किसे कहते
हैं?
रिया :
बाँध बहते जल
को रोकने, दिशा देने या बहाव कम करने के
लिए खड़ी की
गई बाधा है।
इस बाधा के
फलस्वरूप बनाए गए
जलाशय या जलभरण
को बाँध कहते
हैं।
दादी :
शाबाश रिया बेटी! इन बाँधों को
बनाने का उद्देश्य
क्या है?
अन्तरिक्ष
: बाँध बनाने का
मुख्य उद्देश्य है
बाढ़ की विभीषिका
को रोकना और
सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता।
दादी :
ठीक है अन्तरिक्ष! लेकिन बाँधों से
सिंचाई के अतिरिक्त
और भी काम लिए जाते हैं।
इसलिए अब बाँधों
को बहूद्देशीय परियोजनाएँ
भी कहा जाता
है।
अविरल :
दादी! मैं
बताऊँ?
दादी :
हाँ अविरल बोलो!
अविरल :
बाँधों से सिंचाई
के अतिरिक्त जो
कार्य किए जाते
हैं, वह
हैं-
* पनबिजली
उत्पादन
* मछली
पालन
* आन्तरिक
नौका-चालन
या नौ-संचालन
* जल-आपूर्ति
* औद्योगिक
उपयोग
* पिकनिक
स्पॉट के रूप में उपयोग आदि।
दादी :
(अविरल की पीठ थपथपाती
हैं) बहुत
अच्छा बेटे!
मुझे खुशी है
कि तुम लोग
विद्यालय में मन
लगाकर पढ़ते हो।
(एक बच्चा दौड़ता
हुआ स्टेज पर
आता है।)
दादी :
अरे चिंटू! आज देर कर दी।
चिंटू :
(दादी के पैर छूते हुए)
हाँ दादी!
होमवर्क कर रहा था। आज कौन-सी कहानी सुना
रही हो।
दादी :
(उसके सिर पर
हाथ फेरते हुए) खुश रहो बेटा! आज कहानी नहीं
बाँधों के बारे में चर्चा कर
रहे हैं।
चिंटू :
(हँसते हुए) अच्छा
तो दादी जी! आज हम लोग भी बाँधे जाएँगे।
(सब हँसने लगे)
दादी :
अब हम कुछ बहूद्देशीय परियोजनाओं की
चर्चा करेंगे।
जैसे-भाखड़ा
नांगल परियोजना जल
विद्युत उत्पादन और सिंचाई
दोनों के काम आती है। इसी
प्रकार अन्य परियोजनाओं
से भी जल-संरक्षण, बाढ़-नियंत्रण तथा जल-विद्युत-उत्पादन
का काम होता
है। तुम लोग
कुछ परियोजनाओं के
बारे में बता
सकते हो?
सुरेखा : ‘दादी! मैं
बताऊँ?’
दादी :
बताओ सुरेखा बिटिया!
सुरेखा :
* भाखड़ा
नांगल परियोजना
* चम्बल
परियोजना
* दामोदर घाटी परियोजना
* हीराकुण्ड
बाँध
* तुंगभद्रा
परियोजना
* काकरपारा
परियोजना
* नागार्जुन
सागर परियोजना
* रिहन्द परियोजना
* टिहरी
बाँध
* सरदार
सरोवर परियोजना
* इंदिरा
गाँधी नहर आदि।
प्रवीण : (हाथ लहराते हुए
नाटकीय ढंग से) कृपया इन परियोजनाओं
का विस्तृत वर्णन
करने की कृपा करें। न कर पायें तो मैं बताऊँ।
(सब लोग जोर
से हँसते हैं।)
दादी :
एक-एक
परियोजना का वर्णन
एक-एक
बच्चा करे। सबसे
पहले विदूषक जी
बोलेंगे।
सब बच्चे : विदूषक जी कौन?
दादी :
अरे प्रवीण विदूषक
ही तो है। परिहासमय ढंग से
बोल रहा है।
प्रवीण :
मैं भाखड़ा नांगल
परियोजना के बारे में बताता हूँ। यह सतलुज नदी
पर बनी विशाल
परियोजना है,
जो पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश,राजस्थान
व चंडीगढ़
में सिंचाई और
पनबिजली की सुविधा
प्रदान करती है।
भाखड़ा और नांगल सतलुज नदी पर
हिमाचल प्रदेश तथा
पंजाब की परस्पर सीमा के
निकट है। भाखड़ा
बाँध के पीछे एक विशाल झील
बनाई गई है, जिसे गोविंदसागर बाँध
कहते हैं। यह
बाँध 518 मीटर लम्बा
और 226 मीटर
ऊँचा है। यह
कुतुबमीनार से भी तीन गुना बड़ा
है।
(दादी और सब बच्चे ताली बजाते
हैं।)
दादी :
विदूषक जी ने बहुत अच्छी और
सारगर्भित जानकारी दी
है।
गीता :
(हाथ खड़ा करके) मैं तुंगभद्रा परियोजना
के बारे में
बताऊँ?
दादी :
बताओ।
गीता :
यह बाँध तुंगभद्रा
नदी पर है। इससे सिंचाई के
साथ ही साथ बिजली भी उत्पन्न
की जाती है।
इस परियोजना में
आंध्रप्रदेश और कर्नाटक
लाभान्वित होते हैं।
नेहा :
काकरपारा परियोजना गुजरात
में तापी नदी
पर बनी है।
दादी :
(नेहा के गाल थपथपाती हैं।)
बहुत अच्छा नेहा!
विवेक :
और रिहन्द परियोजना
उत्तर प्रदेश की
रिहन्द
नदी पर स्थित
है।
दादी :
ठीक है विवेक!
सुरेखा :
लेकिन दादी!
कुछ परियोजनाएँ विवाद
का विषय भी
बनी हुई हैं।
जैसे ‘टिहरी
बाँध’यह
बाँध गंगा नदी
पर स्थित है।
इस बाँध से
यद्यपि बिजली उत्पादन
और सिंचाई के
क्षेत्र में बहुत
लाभ हुआ है
किन्तु इस बाँध के बनने के
कारण बहुत से
लोगों को विस्थापित
होना पड़ा। इस
कारण
यह परियोजना काफी
विवादित है।
नेहा :
विस्थापित क्यों होना
पड़ा सुरेखा दीदी?
सुरेखा :
बाँध बनाने के
लिए जगह चाहिए।
अतः बस्ती में
बसे लोगों को
हटाना पड़ता है।
उन्हें सरकार मुआवजा
देती है।
दादी :
बच्चों! अभी
बाँधों के बारे में चर्चा हो
जाए। बड़ी बाँध
परियोजनाओं से सम्बन्धित
विवादों के बारे में बाद में
चर्चा करेंगे।
अनिल :
(गंभीरता से) ठीक
कहती हैं दादी।
किसी भी विवाद
की चर्चा बाद
में ही होनी चाहिए।
(सब हँसने लगे)
शशिकान्त :
अब मैं चम्बल
परियोजना के बारे में बताता हूँ। चम्बल नदी पर
गाँधी सागर बाँध, कोटा बाँध,
राणा प्रताप सागर
बाँध तथा जवाहर
सागर बाँध और
पावर हाउस बनाए
गए हैं। इससे
राजस्थान और मध्य प्रदेश के लोगों
को लाभ पहुँचता
है। दामोदर घाटी
परियोजना..........
प्रिया :
(झुंझलाते हुए) शशिकान्त! अरे अब बस भी करो। सारी
परियोजनाओं के बारे में तुम्हीं बता
दोगे तो और कौन बोलेगा।
(सबके चेहरे पर
मुस्कराहट आ जाती है।)
दादी :
(हँसते हुए) हाँ
प्रिया! अब
तुम बताओ।
प्रिया :
(गला खँखारती है) आदरणीया दादी जी! भाइयों और बहनों! मैं दामोदर घाटी
परियोजना के बारे में बताती हूँ।
दामोदर घाटी परियोजना
द्वारा बंगाल और
बिहार को बाढ़ विभीषिका से बचाया
गया। साथ ही
इसके द्वारा सिंचाई
का कार्य भी
हो रहा है।
बहुत सी बिजली
भी उत्पन्न की
जा रही है।इसी
प्रकार हीराकुण्ड परियोजना
के बारे में
भी कहा जाता
है कि यह संसार का सबसे लम्बा बाँध है।
इसकी लम्बाई 4801 मीटर
है। यह बाँध उड़ीसा में सम्बलपुर
के निकट महानदी
पर बना है।
इस बाँध के
द्वारा कई बाढ़ों
को रोका गया
है। इस योजना
से काफी मात्र
में बिजली उत्पन्न
की जाती है
और सिंचाई सुविधाएँ
प्राप्त होती हैं।
अन्य योजनाएँ....
नीरज :
छिपकली जी!
आप दूसरों को
तो कहती हैं।
आपका वक्तव्य कितना
लम्बा चलेगा?
प्रिया :
(हाथ लहराते हुए) बन्धुवर नीरज महोदय! अब आप बोलें, बड़ी प्रसन्नता होगी।
(सब हँसते हैं।)
नीरज :
(खड़े होकर)
कोसी बाँध कोसी
नदी पर बना है। इससे बिहार
में कोसी नदी
की अनर्थकारी बाढ़
को रोककर बिजली
उत्पादन किया जा
रहा है,
जिससे बिहार के साथ ही साथ नेपाल
देश को भी लाभ हो रहा है।नागार्जुन सागर परियोजना
आंध्र प्रदेश के
नन्दी कोण्डा गाँव
के पास कृष्णा
नदी पर बना है।
अवन्तिका :
भाई साहब!
आप खड़े होकर
क्यों बोल रहे
हैं?
नीरज :
(खड़े हुए ही) अवन्तिका बहन जी! वक्तव्य का
भी
एक तरीका होता
है। आप भी अपना वक्तव्य खड़े
होकर दे सकती हैं।
(सब खिलखिलाकर हँस
पड़ते हैं।)
(तभी अनुप्रिया का
प्रवेश, उसके
हाथ मे मिठाई
का डिब्बा है।)
दादी :
आओ अनुप्रिया!
अनुप्रिया :
(उल्लास के साथ)
दादी! आज
मेरा जन्मदिन है। माँ ने
मिठाई भेजी है। (दादी को मिठाई
का डिब्बा देती
है।)
दादी :
(मिठाई का डिब्बा लेते
हुए अनुप्रिया के
सिर पर
हाथ फेरती हैं।) सदा स्वस्थ रहो, सानन्द रहो।
अनुप्रिया :
(दादी के पैर छूती है।)
दादी! आँटी
को भी बुला लाऊँ?
दादी :
हाँ बुला लाओ।
(अनुप्रिया अन्दर जाती
है, अनुप्रिया
और आँटी का
प्रवेश)
दादी :
(अनुप्रिया के सिर पर
हाथ फेरते हुए) सदा स्वस्थ रहो, खुश रहो।
(अनुप्रिया को मिठाई खिलाती
हैं।)
(सब लोग ताली
बजाते हैं। अनुप्रिया
दादी व आँटी के पैर छूती
है।)
सब लोग : जन्मदिन
मंगलमय हो।
जन्मदिन मंगलमय हो।
(दादी सबको मिठाई
खिलाती हैं,
खुद भी मिठाई
खाती हैं।)
आँटी :
बच्चों!! आज
कौन सी कहानी
सुनी।
अनुष्का :
आज कहानी नहीं, वरन् बाँधों के
बारे में चर्चा
हो रही है।
आँटी :
अरे वाह अनुष्का! यह तो मेरा प्रिय विषय है।
अवन्तिका :
सरदार सरोवर परियोजना
नर्मदा नदी पर
बनी है। बिजली उत्पादन
व सिंचाई
के उद्देश्यों को
लेकर यह परियोजना
जंगलों के डूबने
तथा विस्थापितों के
कारण आंदोलन का
कारण बनी हुई
है। इसी प्रकार
इंदिरा गाँधी नहर
आदि कई बहूद्देश्यीय
परियोजनाएँ हैं।
आँटी : मैं
भी कुछ बताऊँ?
सब बच्चे : (एक साथ)
बताइए आँटी!
आँटी :
बाँधों के निर्माण
तथा अभिकल्प (डिजाइन) कई प्रकार के
हो सकते हैं।
एक बाँध की
कितनी क्षमता होगी, कितने बड़े क्षेत्र
की आवश्यकता है, कितना खर्च होगा
और बहूद्देश्यीय कितनी
परियोजनाओं की परिपूर्ति
हो सकेगी। इसका
पता लगाने के
लिए अभियंताओं (इंजीनियरों) द्वारा माॅडलों और
कम्प्यूटरों का उपयोग
किया जाता है।
इसके बाद बाँध
के आकार,
निर्माण सामग्री तथा
अन्य आवश्यक संरचनाओं
का निर्णय लिया
जाता है।बाँध कई
प्रकार के हो सकते हैं। जैसे-गुरुत्व बाँध(GravityDams)चापबाँध(Arch Dams)तटबंध
बाँध (Embantment Dams)।
अनिल :
(हाथ खड़ा करके) आँटी! मैं
बताऊँ इसके बारे
में।
आँटी :
हाँ बताओ अनिल!
अनिल :
* गुरुत्व बाँध बहुत वजनदार
तथा कंक्रीट के
बने होते हैं।
इन बाँधों का
निर्माण महँगा होता
है क्योंकि इनके
लिए काफी कंक्रीट
की आवश्यकता होती
है। गुरुत्व बाँधों
को केवल ताकतवर
चट्टानी नींव पर
ही बनाया जा
सकता है क्योंकि
ये वजनदार होते
हैं। इनके वजनदार
होने से इन पर जल के बहाव का असर नहीं पड़ता है।
यह बाँध
आकार
में काफी मोटे
होते हैं। उदाहरणार्थ-भाखड़ा नांगल बाँध।
*चाप बाँध का
निर्माण जल की ओर मुड़ी हुई
चाप की भाँति
किया जाता है।
चाप बाँध संकरे
तथा चट्टानी स्थानों
के लिए उत्तम
हैं। भारत में
इंडूकी (Induki) बाँध
चाप बाँध है।
*तटबंध बाँध मिट्टी
तथा चट्टान के
बने विशाल आकार
के बाँध होते
हैं। इनमें चट्टानों
की दरारों से
होने वाले जल
के रिसाव को
रोकने के लिए मिट्टी अथवा कंक्रीट
की परत का
इस्तेमाल किया जा
सकता है। उदाहरणार्थ-टिहरी बाँध।
आँटी :
(अनिल को गले लगाते हुए)
बहुत अच्छा बेटे! तुम्हें तथ्यों का
गहराई से ज्ञान
है।
दादी :
बच्चों! अगर
तुम्हारी अनुमति हो
तो मैं भी
एक बात
बताऊँ?
(सब हँसते हैं।)
दादी :
बच्चों! तुम्हें
पता है कि जो बाँध बाढ़
नियंत्रण के लिए बनाए जाते हैं, वह भी कभी-कभी बाढ़ का कारण
बन जाते हैं।
कई बच्चे : (एक साथ)
क्या? बाँध
भी बाढ़ का
कारण बन जाते हैं।
दादी :
हाँ बच्चों!
अन्तरिक्ष :
दादी! मैं
बताऊँ?
दादी :
हाँ अन्तरिक्ष! बताओ।
अन्तरिक्ष :
जो बाँध बाढ़-नियंत्रण के लिए बनाए जाते हैं, वही कभी-कभी जलाशयों में
तलछट जमा होने
से बाढ़ आने
का कारण बन
जाते हैं। ऐसा
इसलिए होता है
क्योंकि नदियों पर
बाँध बनाने और
उनका बहाव नियंत्रित
करने से उनका प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध
हो जाता है, जिसके कारण तलछट
जलाशय की तली में जमा हो
जाता है,
जिससे नदी तल
अधिक चट्टानी हो
जाता है।
दादी :
बहुत अच्छा! बाँधों
के बनने का
स्थानीय जनता विरोध क्यों करती
है, कोई
बता सकता है?
सौरभ :
बड़े बाँध सामाजिक
आंदोलनों का कारण बन गए हैं। जैसे-‘टिहरी
बाँध, ‘नर्मदा
बचाओ आंदोलन आदि।
इसका मुख्य कारण
हैं-स्थानीय
लोगों को विस्थापित
होना पड़ता है।
इन लोगों को
अपनी जमीन व
जीविका के संसाधनों
से लगाव होता
है। अतः वह
लोग मुआवजा मिलने
के बाद भी
वहाँ से हटना नहीं चाहते हैं।इसके
अतिरिक्त स्थानीय लोग
जिस स्थान पर
रहकर अपनी आजीविका
चला रहे होते
हैं; स्थान
बदलने पर आवश्यक
नहीं है कि आजीविका का वही स्त्रोत उन्हें मिल
पावें। अतः कई
बार मुआवजा मिल
जाने पर भी उसकी भरपाई नहीं
हो पाती है।
आँटी :
बहुत बढ़िया! बाँधों
से अन्य कोई
नुकसान भी होता है क्या?
काजल :
हाँ आँटी!
कुछ पर्यावरणविद् मानते
हैं कि बाँध की बहूद्देशीय परियोजनाओं
के कारण भूकम्प
की संभावना बढ़
जाती है। इसके
अलावा और भी नुकसान हो सकते हैं। जैसे-
* जलीय
जीवों के लिए बाँध नुकसानदायक हो
सकते हैं।
* बाँध
नदियों को टुकड़ों
में बाँध देते
हैं, जिससे जलीय
जीवों का नदियों
में आवागमन अवरुद्ध
हो जाता है।
* प्राकृतिक
बहाव अवरुद्ध होने
के फलस्वरूप जलाशय
की तली में
तलछट जमा होने
से जलीय जीवों
के भोजन में
कमी हो जाती है।
दादी :
ठीक कहा तुमने! लेकिन बाँधों या
बहूद्देशीय परियोजनाओं से
जो लाभ होते
हैं, वह
अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
यदि कुछ बातों
का ध्यान रखा जाए
तो बाँधों से
लाभ ही अधिक होंगे। अब मैं तुम
लोगों को बाँध की बहूद्देशीय परियोजनाओं
के सम्बन्ध में
पर्यावरणविदों के सुझावों
को बताती हूँ –
* बहूद्देशीय परियोजना
बनाने से पूर्व
उससे होने वाले
पर्यावरणीय प्रभावों का
भली प्रकार अध्ययन
कर लिया जाए
और उसका सुचारु
रूप से कार्यान्वयन
हो।
* भूकम्पीय
दृष्टि से संवेदनशील
क्षेत्र में बाँध
न बनाए
जाएँ।
* बड़े बाँध
न बना
कर छोटे बाँध
बनाए जाएँ।
अन्तरिक्ष :
दादी! मैं
भी एक सुझाव
दूँ, मुझे
बाँधेंगी तो नहीं।
(सब लोग हँसने
लगे)
दादी :
(हँसते हुए) बाँधों
को तो मैं नहीं बाँध सकती
किन्तु तुझे जरूर
बाँधूँगी। हाँ बता, क्या बता रहा
है?
अन्तरिक्ष :
(डरने का नाटक करता हुआ थोड़ी
दूर चला जाता
है।) अरे
दादी कहीं मुझे
बाँध न दें। मेरा सुझाव है
कि बाँध की
बहूद्देशीय परियोजना बनाने
के कारण वहाँ
से विस्थापित हुए
लोगों को न केवल आवास दिया जाए
बल्कि उनको सरकार
की ओर से या तो आजीविका
के साधन दिए
जाएँ या नौकरी
दी जाए। ऐसा
होने से विस्थापितों
की समस्या का
समाधान हो जाएगा, तब उनके विरोध
का प्रश्न ही
नहीं रहेगा।
(सब लोग ताली
बजाते हैं।)
दादी :
(हँसते हुए) बहुत
अच्छा सुझाव दिया
है अन्तरिक्ष! (हाथ
के इशारे से
बुलाती हुई)
आ तुझे
बाँधूँ।
अन्तरिक्ष :
(दोनों हाथ ऊपर उठाकर
जोर से)
बाँधों को बाँधो
हमें नहीं।
सब बच्चे : (दोनों
हाथ ऊपर उठा
कर) बाँधों
को बाँधो हमें
नहीं।
(पर्दा गिरता है)
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