Sunday, November 25, 2018

बिजली की बचत

पात्र परिचय
विद्यालय के विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थी
कुछ अध्यापक अध्यापिकाएँ
प्राचार्य जी
कक्षा आठ के कुछ विद्यार्थियों के नाम जिनकी विशिष्ट भूमिका है
प्रिया, पंकज, धीरज, विक्रान्त, शालिनी, वैभव
वेशभूषा
पात्र-अभिनय के अनुकूल वेशभूषा




(पर्दा खुलता है)
(पहला दृश्य)
(कक्षा आठ का दृश्य है। स्टेज पर ब्लैक बोर्ड रखा है। कुछ कुर्सियाँ पड़ी हैं, अध्यापक की मेज-कुर्सी पड़ी है। बच्चे प्रातः प्रार्थना-सभा के बाद शोर मचाते हुए कक्षा में आते हैं। कक्षा में आते ही एक बच्चे ने सारे पंखे सभी लाइट जला दीं।)

प्रिया     : पंकज! लाइट क्यों जला दीं, उजाला तो है। (कहते हुए उसने लाइट बंद कर दीं।)
पंकज   : प्रिया! जलने दो , क्या जाता है?
(अन्य बच्चे खड़े होकर उनकी बातें सुनने लगते हैं।)
प्रिया     : फालतू में लाइट जलाने से क्या फायदा? फालतू का खर्च हो रहा है।
पंकज   : तुम्हारा खर्च हो रहा है?



प्रिया     : हमारे विद्यालय का खर्च हो रहा है। देश का खर्च हो रहा है।
(इतने में अध्यापिका जाती हैं। सब बच्चे अपने स्थान पर जाकर खड़े हो जाते हैं।)
सब बच्चे             : सुप्रभात मैडम!

मैडम       : सुप्रभात बच्चों! बैठ जाओ। तुम लोग गर्मियों की छुट्टियों के बाद मिल रहे हो, बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने बाहर से आते हुए प्रिया की बातें सुनीं-हमारे विद्यालय का खर्च हो रहा है, देश का खर्च हो रहा है। किस सन्दर्भ में बातें हो रही थीं?

धीरज               : मैडम! पंकज ने कक्षा की सारी लाइट जला दी थीं, प्रिया ने बन्द कर दीं कहा कि उजाला तो है, इन्हें जलाने से क्या फायदा, फालतू खर्च होता है।
मैडम                : बिल्कुल ठीक! प्रिया ने बहुत अच्छी बात कही, फालतू में लाइट ही क्यों, कोई भी चीज आवश्यकता के बिना खर्च नहीं करना चाहिए, बर्बाद नहीं करना चाहिए। बच्चों! तुम्हें पता है बिजली  कैसे बनती है?
विक्रान्त            : मैडम! पनबिजली परियोजनाओं द्वारा बिजली बनती है(शालिनी हाथ खड़ा करती है।)
मैडम                : हाँ, शालिनी बताओ।
शालिनी            : इन पनबिजली परियोजनाओं में पानी भी बहुत खर्च होता है और पर्यावरण भी प्रदूषित होता है।
मैडम                : शाबाश शालिनी! सही कहती हो, उत्तराखण्ड में त्रासदी हुई, वह प्राकृतिक आपदा तो थी ही, साथ ही पनबिजली परियोजनाओं के लिए पहाड़ों पेड़ों को काटा गया। इससे भी पर्यावरण अपकर्षण हुआ।
वैभव            : मैडम! इसके अतिरिक्त एक और बात है। व्यर्थ बिजली जलाने और पंखे चलाने से क्या फायदा?जितना अधिक बल्ब या रॉड जलेंगे या पंखे चलेंगे, उतना ही जल्दी खराब होंगे। इसलिए   इनको बनाने के लिए उतनी ही अधिक फैक्ट्रियाँ लगानी पड़ेंगी। इनसे खर्च के साथ ही पर्यावरण अपकर्षण भी बढ़ेगा।
मैडम                : शाबाश वैभव!

(मैडम बच्चों की सीट के पास जाकर वैभव, प्रिया, शालिनी आदि की पीठ थपथपाती हैं।)
मैडम                : अगर देश ही नहीं विश्व के सभी बच्चे इसी तरह  सोचने लगें तो वास्तव में विश्व आनन्द का स्थान बन सकता है। चलो कुछ पढ़ाई की बातें कर लें। कल प्रार्थना-सभा में इसी सम्बन्ध में बातें करेंगे, ताकि सभी बच्चे जागरूक हो सकें।
(पट परिवर्तन)
(दूसरा दृश्य)
(प्रार्थना-सभा का दृश्य है। सब बच्चे अलग-अलग पंक्तियों में खड़े हैं। स्टेज पर माइक रखा है कुछ अध्यापक, अध्यापिकाएँ बच्चे खड़े हैं।)
(प्रार्थना शुरू होती है।)
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा।
सदा शक्ति सरसाने वाला, प्रेम सुधा बरसाने वाला।।
वीरों को हर्षाने वाला, मातृभूमि का तन मन सारा।
झंडा.......
स्वतन्त्रता के भीषण रण में रख कर जोश बढ़े क्षण-क्षण में।
काँपे शत्रु देख कर मन में, मिट जाए भय संकट सारा।।
झंडा.......
इस झंडे के नीचे निर्भय, ले स्वराज्य हम अविचल निश्चय।
बोलो भारत माता की जय, स्वतन्त्रता हो ध्येय हमारा।।
झंडा......
आओ प्यारे वीरों आओ, देश धर्म पर बलि बलि जाओ।।
एक साथ सब मिलकर गाओ, प्यारा भारत देश हमारा।।
झंडा......
इसकी शान जाने पाये, चाहे जान भले ही जाये।
झंडा......
(माइक पर मैडम आती हैं बच्चों को सम्बोधित करती हैं।)

शालिनी मैडम               : बच्चों! पुराने जमाने में बिजली नहीं थी। आज हमें बिजली पंखे की सुविधा मिलीहै। हम उसका उपयोग करें, दुरुपयोग करें। अनावश्यक बिजली जलाने से पंखा चलाने से बिजली की अधिक खपत होने से बिजली का अधिक उत्पादन करना पड़ता है, जिससे अधिक विद्युत परियोजनाओं को लगाना पड़ता है। धन का अपव्यय तो होता ही है, पर्यावरण अपकर्षण भी होता है।

           
   

दुनिया की आबादी लगभग छह अरब है। यदि प्रति व्यक्ति प्रतिमाह एक यूनिट    बिजली की भी बचत करे तो प्रतिमाह लगभग छह अरब यूनिट बिजली की बचत हो सकती है। बच्चों! बता सकते हो हम इसके लिए क्या कर सकते हैं?

एक बच्चा                     : हाथ खड़ा करता है।
मैडम                            : हाँ बताओ!
बच्चा                        : घर में या विद्यालय में फालतू बिजली जलने दें। कक्षा से निकलते समय पंखे बन्द कर दें।
दूसरा बच्चा                  :  हाथ खड़ा करता है।
मैडम                            : बताओ बेटा!
बच्चा                         : दिन में लाइट जलाएँ, जितनी देर कमरे                                                        में रहें, उतनी ही देर पंखा चलाएँ, बाहर जाते समय बन्द कर दें।
मैडम                         : हाँ, बच्चों! समय समाप्त हो रहा है, बाकी                                                           बातें फिर करेंगे। चलो एक नारा बताते हैं -(मैडम हाथ उठाते हुए) हम सब बिजली बचाएँगे।
सब बच्चे                       : (हाथ उठाते हुए) हम सब बिजली बचाएँगे।
मैडम                            : (हाथ उठाते हुए) विश्व को स्वर्ग बनाएँगे।
सब बच्चे                      : (हाथ उठाते हुए) विश्व को स्वर्ग बनाएँगे।

(पटाक्षेप)

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